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नई दिल्ली: जम्मू में हिरासत में लिए गए 168 रोहिंग्या लोगों को म्यांमार वापस भेजने पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रोहिंग्याओं को नियत प्रक्रिया का पालन किया बिना म्यांमार नहीं भेजा जाएगा। अभी रिलीज नहीं होगी। सभी को होल्डिंग सेंटर में रहना होगा।
कुछ रोहिंग्या लोगों की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल कर कर यह मांग की थी कि इन लोगों को रिहा कर भारत में ही रहने दिया जाए। केंद्र सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया था।
प्रशांत भूषण ने मांग की थी कि होल्डिंग सेंटर में रखे गए इन लोगों को भारत से वापस न भेजा जाए। साथ ही, भारत में रह रहे सभी रोहिंग्याओं को शरणार्थी का दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि यह बात का कोई सबूत नहीं है कि रोहिंग्या लोग भारत की सुरक्षा को लेकर पहुंच रहे हैं।
वहीं इस मांग का विरोध करते हुए सल्लिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जिस अंतर्राष्ट्रीय समझौते के आधार पर वह फैसला आया, भारत ने उस पर डायरीखत नहीं किए हैं। भारत सरकार ने अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हित के आधार पर कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से दूरी रखी है। तुषार मेहता ने बताया था कि भारत सरकार की म्यांमार सरकार से बातचीत जारी है। म्यांमार सरकार की पुष्टि के बाद ही इन लोगों को वापस भेजा जाएगा।
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