गया: बिहार में कोरोना के बढ़ते रोगियों के साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। सरकार का कहना है कि सिलेंडर नहीं होने की वजह से ऑक्सीजन के आपूर्ति में परेशानी हो रही है। ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने की वजह से दर-दर भटक रहे मरीजों के परिजनों ने खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद ली है। लेकिन अब उनके सामने ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल बनाने की समस्या खड़ी हो गई है।
घंटों लाइन में खड़े रहने वाले परिजन हैं
दरअसल, गया के कोविड डेडिकेटेड अस्पताल एएनएमएमसीएच में तो ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है, लेकिन निजी नर्सिंग होम और होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीजों को मेडिकल ऑक्सीजन मिलना मुश्किल हो गया है। मरीज के परिजनों को सिलेंडर रिफिल कराने के लिए बैंक्स नहीं मिल पा रहा है। इस कारण से वे घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन सिस्टम की लापरवाही की वजह से उनका काम नहीं हो पाता है।
इस बात से परेशान मरीजों के परिजनों ने कहा कि पहले जान बचाने के लिए भगवान के पास जाना पड़ता था, आज अधिकारियों द्वारा बनाए गए ऑक्सीजन कोषांग का चक्कर लगाना पड़ रहा है। जिला प्रसाशन की मानें तो मेडिकल ऑक्सीजन के लिए आवेदन के साथ-साथ नर्सिंग होम या डॉ का पुर्जा जमा करना पड़ता है। उसके बाद ऑक्सीजन कोषांग के कमिटी की बैठक होगी, जिसमें ये निर्णय लिया जाता है कि ऑक्सीजन देना है या नहीं।
शुरू रहता है परिजनों की भीड़
बता दें कि कोरोना काल में मेडिकल ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए समशीतल में ऑक्सीजन कोषांग बनाया गया है, जहां ऑक्सीजन ग्रेड देने की व्यवस्था की गई है। ऑक्सीजन की मांग ऐसी बढ़ गई है कि ऑक्सीजन कोषांग खुलने के समय से पहले रोगी के परिजनों की भीड़ लग जाती है। बैंक्स की जिम्मेदारी ओडी शैलेश कुमार दास को दी गई है।
उन्होंने बताया कि सिर्फ क्रिटिकल मरीज को ही परेशान किया जा रहा है, जिसका निर्णय कमता करता है। जो ज्यादा गंभीर मरीज हैं, उन्हें शहर में बनाए गए को विभाजित डेडिकेटेड हेल्थ सेंटर में भर्ती कराया जा सकता है। चूंकि सारा इंतजाम है।
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