कालाष्टमी व्रत 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार आज 03 मई 2021 दिन सोमवार को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। हिंदू धर्म में इस तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है। वैसे तो कालाष्टमी तिथि का बहुत महत्त्व है। लेकिन इस बार यह तिथि सोमवार को पड़ रही है। इससे इस बार कालाष्टमी का महत्त्व और बढ़ गया है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रूद्रस्वरूप कालभैरव की पूजा-अर्चना की जाती है।
काशी में भगवान कालभैरव को कोतवाल ने भी कहा जाता है। उन्हें सभी भगवान की रक्षा करने वाला माना गया है। काल भैरव के 8 स्वरूपों की पूजा की जाती है। उनके सभी स्वरूपों का अलग-अलग महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि कालभैरव के साथ शिवलिंग की भी पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव और काल भैरव प्रसन्न होते हैं।
कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 3 मई दिन सोमवार को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट को होगी और यह तिथि 04 मई मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि
कालाष्टमी व्रत अष्टमी तिथि के उदय के साथ ही शुरू हो जाता है और इसका समापन इसके समाप्त होने के साथ होता है। भगवान भैरव की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इसके बाद काल भैरव को उनकी प्रिय चीज समर्पित की जाती है। बाद में उनकी आरती और चालीसा का पाठ करकर व्रत का समापन किया जाता है।
कालाष्टमी व्रत में भूल जाना भी न कारें ये काम करते हैं
- काल भैरव की जयंती, कालाष्टमी के दिन भक्त को झूठ नहीं बोलना चाहिए। इससे भक्त को नुक्सान हो सकता है।
- कालाष्टमी व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन केवल फलाहार ही करना चाहिए।
- कालाष्टमी व्रत को नमक भी नहीं खाना चाहिए। शरीर में नमक की कमी महसूस हो तो काला नमक का सेवन करना चाहिए।
- काल भैरव की पूजा किसी के नाश के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
- गृहस्थ जीवन में भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए। बल्कि बटुक भैरव की पूजा करनी चाहिए। इनकी पूजा सौम्य मणि जाती है।
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