बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहलाने वाले राजेश खन्ना (राजेश खन्ना) ने साल 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ से अपना फिल्मी सफर शुरू किया था, जिसके बाद उनकी दूसरी फिल्म बहारों के सपने जो 1967 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में राजेश खन्ना के साथ आशा पेरख (आशा पारेख) ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
उस वक्त राजेश फिल्म इंडस्ट्री में नए थे और आशा पहले से ही एक स्टार थे। कुछ सालों के बाद राजेश खन्ना पॉपुलर हो गए। फिर एक फिल्म आई जिसका नाम था ‘आन फिल्म सजना’। इस फिल्म में एक बार फिर राजेश और आशा की जोड़ी ने कमाल कर दिखाया।
इसके अगले ही साल फिल्म कटी ‘पतंग’ आई, तब तक राजेश खन्ना सुपरस्टार बन चुके थे और उन दिनों आशा पारेख का क्रेज कम हो चुका था और राजेश ने भी अपनी फिल्मों के लिए मुमताज और शर्मिला टैगोर से प्रमोट करना शुरू कर दिया था। इस बात का आशा पारेख को बुरा भी लगा।
फिर साल 1984 में फिल्म आई ‘धर्म और कानून’, जिसमें राजेश खन्ना का डबल रोल था और आशा पारेख को उसमें राजेश की मां का किरदार निभाना पड़ा। दिलचस्प बात ये थी कि जब ये फिल्म रिलीज़ हुई तब तक आशा परेश और राजेश खन्ना दोनों का ही क्रेज खत्म हो चुका था, लेकिन फिर भी ये फिल्म चल निकली क्योंकि इसमें धर्मेंद्र भी थे।
यह भी पढ़ें: जब मनीषा कोइराला के साथ फिल्म ‘रायनगर’ के सेट पर हुआ बुरा बर्ताव, पहुंच गया था प्रधानमंत्री तक बात
।
Homepage | Click Hear |