Home » दमोह का जानलेवा चुनाव: कांग्रेस MLA की कोरोना से मौत, कई नेता वायरस से संक्रमित
दमोह का जानलेवा चुनाव: कांग्रेस MLA की कोरोना से मौत, कई नेता वायरस से संक्रमित

दमोह का जानलेवा चुनाव: कांग्रेस MLA की कोरोना से मौत, कई नेता वायरस से संक्रमित

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> भोपाल: मध्य प्रदेश के दमोह में कोरोना काल में हुए उपचुनाव पर अब मौत की छाया है। चुनाव के दौरान तब आवाज उठती रही कि जब देश में कोरोना है तो दमोह में क्यों रैलियां की जा रही हैं, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद से दमोह चुनाव में गए नेताओं के संक्रमण से मरने की खबरें आ रही हैं, तो लग रहा है। क्या चुनाव ने मृत्यु को बांटा।

रविवार को दमोह में उपचुनाव के वोटों की गिनती पूरी तरह से नहीं मिली थी कि शाम तक खबर आई कि दमोह चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी ब्रजेंद्र सिंह राठौर कोरोना से जंग हार गए। कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री ब्रजेंद्र सिंह कांग्रेस की ओर से दमोह के प्रभारी थे और पूरे चुनाव के दौरान उन्होंने चुनाव में डेरा डाले रखा। वहाँ वह संक्रमण का शिकार हो गया। & nbsp;

कुछ दिन पहले ही प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष मांडवी चौहान भी कोरोना का शिकार बनीं और भोपाल में दम तोड़ दिया। मांडवी भी लंबे समय तक दमोह में पार्टी प्रचार में रहीं। कांग्रेस की ही महिला विधायक कलावती भूरिया भी कुछ दिनों के लिए दमोह बनी थीं और कोरोना की चपेट में आईं और इंदौर के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि ये जानलेवा चुनाव हो रहे हैं।

पीसी शर्मा, विधायक और पूर्व मंत्री कहते हैं कि दमोह में इंदौर, जबलपुर और भोपाल से आने वाले पार्टी वर्करों ने कोरोना को उछाल से फैलाया। ऐसा नहीं है कि चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेता ही कोरोना की चपेट में आए। बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष देवनारायण श्रीवास्तव भी कोरोना के कारण जान गंवा बैठे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी अजय टंडन भी चुनाव के दौरान ही कोराना के शिकार हो गए। बीजेपी सरकार के मंत्री भूपेद्र सिंह, मंत्री गोविंद सिहं राजपूत, विधायक प्रदीप लारिया विधायक शैलेन्द्र जैन और विधायक जीतू पटवारी भी कोरोना की चपेट में आये। & nbsp;

कई नेता बताते हैं कि चुनाव के दौरान होने वाली रैलियां और रोड शो कितना घातक रहा। लेकिन एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कोरोना को चुनाव से नहीं जोड़ा गया। उनका कहना है कि ऐसा होना चाहिए तो बंगाल गए नेता भी बीमार होते हैं और मरते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुंबई में तब चुनाव नहीं था इसलिए कोरोना फ़ैला।

दमोह में उपचुनाव के प्रचार के दौरान तो कोरोना की गिनती कम हो रही थी, लेकिन चुनाव के बाद जैसे ही कोरोना की जांच पूरी ताकत से शुरू हुई कोरोना पीड़ितों की संख्या में तेजी से बढ़ गई। दमोह में रोज तीन सौ के आसपास कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं और अब तकरीबन हजार सक्रिय केस हैं।