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Coronavirus Updates: लखनऊ में कोरोना से बिगड़ते हालात के बाद हेल्प लाइन नंबर जारी किये गये, ये रही पूरी डिटेल

दिल्ली में कोरोना को थामना है, तो घरों में ही थमे रहिये

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> कोरोना की बेकाबू होती जाती को थामने के लिए दिल्ली सोमवार की रात दस बजे से छह दिन के लिए कुछ हद तक थम जाएगी।लेकिन बड़ा सवाल यही है कि कोरोना संक्रमण की चेन टूटने में यह क्या कारगर साबित होगा? महामारी से जुड़े विशेषज्ञ व डॉक्टरों की इस पर कमोबेश एक ही राय है कि सख्ती से बगैर इसे रोकना लगभग नामकुमिन है।

लेकिन ये दोतरफा होना चाहिए, यानी सरकार तो बंदिशें लगाये लेकिन लोग ‘सेल्फ लॉक डाउन’ का पालन करते हुए बेहद जरुरी होने पर ही बाहर निकलें। उनके मुताबिक क्या दिल्ली की बात हो या अन्य किसी राज्य की, अगर लोगों का सहयोग सरकार को नहीं मिला तो समझ लें कि पूरेचे देश को एक बार फिर सम्पूर्ण लॉक डाउन जैसे हालात में जीने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। <पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> जिस तेजी से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वह देखती है सरकार के साथ डॉक्टरों की चिंता भी वाजिब है। इसलिए उन्होंने यह भी कहा कि लैंसेट को -19 की नवीनतम & nbsp; रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आपफ़ानी हमलों से बढ़ रहे संक्रमण पर क़ाबू नहीं पाया गया तो मध्य जून तक भारत में हर दिन मौतों का आँकड़ा 2300 को भी पार कर सकता है, जो बेहद भयावह स्थिति होगी।फ़िलहाल 1500 के आंकड़े तक पहुंच सकते हैं पास.इसीलिए कहा जा रहा है कि भारत अब पूरी तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी की गिरफ़्त में हैं। सिर्फ छोटे शहरों में ही नहीं बल्कि दिल्ली, मुम्बई, इंदौर, पुणे जैसे महानगरों तक अस्पतालों के बाहर मृतकों के रोते-बिलखते परिवार दिखाई पड़ रहे हैं। बेहाल मरीज़ों से लदी एकरेंसों की क़तरें हैं। मुर्दाघरों में प्रत्येकों के लिए जगह नहीं है। कई बार एक बिस्तर पर दो मरीज़ों को लिटाने की ज़रूरत पड़ रही है।

वैसे दिल्ली में लॉक डाउन लगाये बगैर संक्रमण की चेन नहीं तोड़ी जा सकती है, इसका अंजज उसी दिन लग गया था, जब तीन दिन पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन दिल्ली के एम्स अस्पताल में डॉक्टरों से जमीनी हक़ीक़त जानने वहां पहुंचे थे। अतब वहाँ के एक विभागाध्यक्ष डॉ ने रुंसी आवाज़ में उन्हें हालात का जिक्र करते हुए कहा था कि – "पिछले 12 दिनों से कम उम्र के बच्चे जिस तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं, वह हमें देखा नहीं जा रहा है। संक्रमण की इस चेन को तोड़ने के लिए क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि सरकार दो सप्ताह के लिए पूरे लॉक डाउन कर दे"

अधिकांश महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की अभी और तरंगें आ सकती हैं, क्योंकि भारत अभी हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने से काफ़ी दूर है और दूसरा, यहाँ टीकाकरण की दर भी अभी उम्मीद से बहुत कम है।आगे अगर अंतराल है, तो लोगों को छोटे और स्थानीय लॉकडाउन के साथ जीना सीखना होगा।

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के प्रेसिडेंट के पी श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, "इस साल की शुरुआत में देश के लोगों में जीत की एक भावना दिख रही थी। कुछ लोगों को लग रहा था कि हमने हर्ड इम्यूनिटी हासिल कर ली है। हर किसी को तारीखार लौटने की जल्दी थी। कुछ लोगों की नज़र में कोरोना एक मामूली बीमारी बनकर रह गया था। लेकिन जो लोग इन ख़तरों के बारे में चेता रहे थे, उनकी नहीं सुनी गई।"

परिवर्तन की चेन तोड़ने के लिए कुछ दिनों के लॉक डाउन को जायज बताते हुए वे कहते हैं, "हम ज़िंदा रहते हैं जहाँ कहीं भी तन्हाई नहीं आती। लेकिन अगर हम भीड़ भरे शहरों में एक दूसरे से पर्याप्त शारीरिक दूरी न रख सकें, तो कम से कम यह तो पक्का कर लें कि हर कोई बेचैन हो जाए। साथ ही फ़ंक्शन को सही तरीके से पहनना भी ज़रूरी है। लोगों से की जाने वाली यह कोई बड़ी अपेक्षा नहीं है।"

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