नई दिल्ली: दिल्ली के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर आज लगातार चौथे दिन हाईकोर्ट में परीक्षण हुआ। हाईकोर्ट में आज दो अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर याचिका दायर की थी। इस बार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वालों में बत्रा अस्पताल और ब्रह्म हेल्थ कैर शामिल थे। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर अस्पतालों में कमी होती है तो उसकी जानकारी सबसे पहले ऑक्सीजन की कमी की निगरानी की जिम्मेदारी संभाल रहे नोडल ऑफिसर को दी जाए, जो यह सुनिश्चित करता है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी जल्द से जल्द दूर हो। ।
ब्रह्म अस्पताल की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उसके पास 92 मरीज भर्ती हैं जिनको ऑक्सीजन की जरूरत है और वर्तमान में 3 घंटे की ऑक्सिजन बच गई है। ऐसे में अगर जल्द ही ऑक्सीजन नहीं मिली तो मरीजों के सामने समस्या पेश आ सकती है।
इस दौरन दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि कल केंद्र सरकार की तरफ से 480 मिलियन टन में से 350 टन टन ऑक्सीजन की सप्लाई को मिला है। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र की तरफ से हम को मिलने वाली ऑक्सीजन का कोटा 480 टन टन का है जबकि कल मिला 345 से 350 करोड़ तक यानी 100 लोगों की कमी और यह लगातार हो रहा है। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अगर मुमकिन हो तो हमको आसपास के पड़ोसी राज्यों से ऑक्सीजन मुहैया करा दी जाए क्योंकि दूर से ऑक्सीजन आने में वक्त लगता है।
दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को दी जानकारी
दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों और सुविधाओं को लेकर आज प्रधानमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित अन्य मुख्य अधिकारियों की बैठक भी हुई है। अब इस ओर काफी तेजी से काम हो रहा है और उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द ही दिक्कतों को दूर किया जा सकेगा। दिल्ली सरकार के वकील के साथ ही केंद्र सरकार के वकील ने भी कोर्ट को प्रधानमंत्री और मुख्य सचिवों के बीच हुई बैठक के बारे में जानकारी दी और कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्य सचिवों से कह दिया है कि ऑक्सीजन की सप्लाई और आने जाने में किसी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस सप्ताह के अंत तक पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से ऑक्सीजन की सप्लाई दिल्ली को रेलवे की मदद से मिलने लगेगी।
इस बीच केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि एक कंट्रोल रूम बना दिया गया है और उस कंट्रोल रूम से राज्यों के नोडल ऑफिसर से लगातार संपर्क किया जा रहा है और जरूरत के हिसाब से फैसले लिए जा रहे हैं। इसके साथ ही एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया है जिसमें अलग-अलग राज्यों के सामने जो समस्याएं आ रही हैं उनके बारे में जानकारी दी जा रही है। केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि अब नोडल अफसर नियुक्त हो चुके हैं लिहाजा पहले अगर किसी तरह की कोई जरूरत नहीं है तो उन्हें अवगत करवाना चाहिए जिससे कि उसे जरूरत को पूरा किया जा सके।
इस दौरान बत्रा अस्पताल की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसके पास 160 मरीज आईसीयू में है और बाकी अलग-अलग बोर्ड में जिनको ऑक्सीजन की जरूरत है रोजाना करीब 7000 से 8000 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है लेकिन कल सिर्फ 1000 लीटर की मिली जो … अधिकतम 5 से 6 घंटे ही चल सकता है। बत्रा अस्पताल कि तरफ से कहा गया कि सरकार ने हमको को विभाजित -19 अस्पताल घोषित किया है ऐसा में अगर जरूर पूरी नहीं होगी तो हम कहां जाएंगे।
कोर्ट ने नोडल ऑफिसर से कही ये बात
कोर्ट ने आज हुई सुनवाई के दौरान मौजूद नोडल ऑफिसर से कहा कि इन दोनों अस्पतालों को जल्द ही ऑक्सीजन देने के लिए निर्देश जारी किया जाए। इस बीच दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी की वजह से अब कई अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करने से भी मना करना शुरू कर दिया है जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना सरकार का काम है क्या ऐसा ना हो
इस बीच कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार ने दिल्ली को 480 टन टन ऑक्सीजन देने का जो ऐलान किया है उसको जल्द ही पूरा किया जाएगा जिससे लोगों को बिना ऑक्सीजन इलाज के लिए न भटकना पड़े।
इसी दौरान कोर्ट को एक बार फिर जानकारी मिली कि मैक्स अस्पताल पटपड़गंज और शालीमार बाग में एक बार फिर से ऑक्सीजन की कमी शुरू हो गई है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर अब पहले नोडल ऑफिसर को जानकारी दी जाए क्योंकि वो ही ये यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी जगह पर तय समय पर और उचित मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचे। लेकिन फिर भी अगर ऐसा नहीं होता है तो दिल्ली सरकार के वकील को इस बारे में जानकारी दी जानी चाहिए और जरूरत पड़ जाएगी।
अब इस याचिका पर भी सोमवार को सुनवाई आगे जारी रहेगी। इससे पहले पिछले 3 दिनों के दौरान भी जब अदालत ने अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की है तो उन सभी मामलों पर सुनवाई के लिए अगली तारीख सोमवार की ही दी थी। कोर्ट की कोशिश यही है कि सभी मामलों में यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऑक्सीजन की कमी सहित वैक्सीन, बिस्तर और दवाओं के मुद्दे पर भी जो दिक्कतें सामने आ रही हैं उन्हें दूर किया जा सके।
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