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TV पर कोरोना से जुड़ी खबरें न दिखाने की मांग वाली याचिका खारिज, दिल्ली HC ने कहा- मौत के आंकड़े बताना नकारात्मकता नहीं

दिल्ली HC ने केंद्र से कहा- ऑक्सीजन कंसंट्रेटर समेत सभी मेडिकल उपकरणों की अधिकतम कीमत तय की जाए

by Sneha Shukla

दिल्ली के कोरोना कारणों और इसकी वजह से सामने आ रही दिक्कतों को लेकर बुधवार को भी दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमे जारी हो रहे हैं। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बार फिर कोर्ट को बताया गया कि कालाबाजारी और जमाखोरी करने वाले कानून की कमी का फायदा उठाकर अदालत से जमानत ले रहे हैं, जिस पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इस कमी को जल्द से जल्द दूर किया जाए। होना। कोर्ट ने इसके साथ ही अस्पतालों की तरफ से ज्यादा पैसे वसूले जाने की शिकायत सामने आने के बाद दिल्ली सरकार से कहा कि वह अस्पतालों के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित करें कि इस तरीके की घटनाएं सामने ना आएं।

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि निचली अदालत में जमाखोरी और कालाबाजारी को लेकर पकड़े गए आरोपियों की तरफ से दलील देते हुए यह कहा जा रहा है कि उन्होंने कुछ भी गुनाह नहीं किया है। क्योंकि उन्होंने कानूनी तरीके से ही ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मंगाए थे। उस पर टैक्स भरा था और बिल के साथ ही उसको बेच रहे थे तो फिर यह अपराध कैसे हुआ। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे तो सभी आरोपी छूट जाएंगे। क्योंकि उनका कहना है कि यह अपराध की श्रेणी में आता ही नहीं है। परीक्षण के दौरान एक वकील ने कहा कि कोर्ट के 2 मई के आदेश के मुताबिक तो ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर भी ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट के तहत आता है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर आदेश देते हुए कहा कि क्योंकि सरकार ने इस तरीके के उपकरणों को लेकर कोई अधिकतम कीमत तय नहीं की है। लिहाजा आरोपी इसका फायदा उठाते हुए उपकरणों को औने पौने दामों पर बेच रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इस पर उनका क्या रुख है। कोर्ट ने कहा कि पिछले साल ही इस तरह के उपकरणों को लेकर अधिकतम कीमत तय करने की बात की गई थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। कोर्ट ने कहा कि अब जब आ चुका है कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर सहित तमाम ऐसे उपकरणों को बेचने के अधिकतम मूल्य तय की जाए जिससे लोग इस खामी का फायदा ना उठा सकें। कोर्ट ने कहा कि अब हर हाल में ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर सहित अन्य उपकरणों को बेचने की अधिकतम कीमत तय होनी चाहिए जिससे उसमें जमाखोरी और कालाबाजारी पर लगाम लग सके।

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने कोर्ट को बताया कि उनके सामने एक मामला आया है, जहां पर एक मरीज की कोरोना की वजह से अस्पताल में मौत हो गई। लेकिन अस्पताल में शव देने से यह कहता हुआ इनकार कर दिया कि पहले एक लाख रुपये के बिल का भुगतान किया जाए। इसी दौरान कोर्ट को बताया गया कि अस्पताल दिल्ली सरकार द्वारा तय की गई अधिकतम कीमत से ज्यादा पैसे अलग-अलग नामों पर वसूल रहे हैं।

यह जानकारी सामने आने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह अस्पतालों की तरफ से वसूले जा रहे पैसों को लेकर निगरानी करेगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सेक्रेट्री हेल्थ और अस्पताल एसोसिएशन के बीच बैठक की जाए और चर्चा की जाए कि अस्पतालों के द्वारा एक दिन में अधिकतम कितने रुपए वसूले जा सकते हैं। क्योंकि कोर्ट की जानकारी में आ रहा है कि अस्पताल 18000 रुपये के कैप होने के बावजूद उसके ऊपर भी हजारों रुपए दिन के वसूलते हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार और पुलिस से उन सभी लोगों के बारे में जानकारी मांगी है जिनके खिलाफ जमाखोरी व कालाबाजारी का मामला दर्ज हुआ है। कोर्ट ने कहा है कि इन सभी आरोपियों को नोटिस भेजा जाएगा और कोर्ट के सामने याचिका होने के लिए कहा जाए।

दिल्ली द्वारका में बने इंदिरा गांधी अस्पताल को लेकर दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया की अभी तक इस अस्पताल की साझेदारी पूरी नहीं हुई है लेकिन लोगों की जरूरतों को देखते हुए यहां पर सुविधा शुरू की गई है। यहां पर माइग्रेन और कैंसर के लक्षण वाले रोगियों को भर्ती किया जा रहा है। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि आज की तारीख में हम कुछ लोगों की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में है। आज एप की जानकारी के मुताबिक 4493 कोविड बेड खाली हैं। ये 3277 ऑक्सीजन बिस्तर और 88 ICU बिस्तर है।

दिल्ली सरकार के वकीलों की दलील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि जब आपके पास पहले से ही काफी सुविधा मौजूद है तो आखिर आप टेंपरेरी बेड का इस्तेमाल ही क्यों करना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि आखिर आप क्यों नहीं जो आधे बने हुए अस्पताल में उन्हें जल्द ही जल्द पूरा करने की कोशिश करते हैं। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अभी तक एक-दो सप्ताह में यह काम भी पूरा हो जाएगा। जिस पर कोर्ट ने कहा कि फोटो (इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारका) देखकर लगता है कि बिल्डिंग बनकर तैयार है। बस वहाँ पर बिस्तर और अन्य सुविधाओं का इंतजाम ही करना है। कोर्ट ने कहा कि पिछले 15 दिनों में आपने कुछ खास नहीं किया जब मामला कोर्ट में आया तो आपने कहा कि 250 बेड शुरू हो रहे हैं।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह बताए कि इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारका का निर्माण कार्य कब तक पूरा हो जाएगा और कभी अस्पताल पूरी तरह से शुरू हो जाएगा। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान में इमारत देखकर लगता है कि लगभग लगभग काम पूरा हो गया है, लेकिन अब तक शुरू नहीं हो पाया है। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि ऐसा नहीं है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह अस्पताल मार्च 2020 में बनकर तैयार नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोरोना की बात ना भी हो जाए तो भी अगर किसी अस्पताल को बनाने में कितना खर्च हुआ है तो आखिर उसको शुरू क्यों नहीं किया जा रहा है यह आपके अपने में एक महत्वपूर्ण सवाल है और रही बात कोरोना की तो अब जबकि तीसरी लहर । बात बन रही है। जरूरत है कि ऐसे सभी अस्पतालों को जल्द ही जल्द शुरू किया जाए।

इसी दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सवाल केंद्र सरकार से भी पूछे जाने चाहिए। क्योंकि उन्होंने दिल्ली को जरूरत के मुताबिक बिस्तर नहीं दिए हैं। जिस पर कोर्ट ने कहा कि हम यहां पर दिल्ली सरकार के अधीन होने वाले अस्पताल के बारे में बात कर रहे हैं जिस पर इतना पैसा भी खर्च हुआ और तय वक्त पर शुरू नहीं हुआ और आप इस सवाल को दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं। ।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है कि वह बताए कि इंदिरा गांधी अस्पताल को कब तक पूरी तरह से शुरू कर दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने हमको जानकारी दी है कि वर्तमान में 250 बिस्तर शुरू किए गए हैं और यहां पर माइल्ड और रिटेट लक्षण वाले रोगियों को भर्ती किया जा रहा है। इस अस्पताल में वर्तमान में फौरी तौर पर कुछ वेंटिलेटर बेड भी दिए गए हैं और 25 आईसीयू भी उपलब्ध करवाए गए हैं। साथ ही 70 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर और डॉक्टरों की टीम भी मौजूद है।

कोर्ट ने कहा कि हमको मत भूलो कि अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में क्या हालात थे। अब भले ही थोड़े बेहतर हुए हों लेकिन कुछ दिनों पहले ही लोग अस्पतालों में बेड की तलाश में भटक रहे थे, उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी और लोग परेशान थे। इस दौरान कई लोगों की अस्पताल में बेड न मिलने की वजह से मौत तक हो गई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि इस पर 10 दिनों के भीतर विस्तृत जवाब दें और हम उम्मीद करते हैं कि जो जवाब दिया जाएगा कि पर अमल करते हुए जल्द ही जल्द काम पूरा होगा।

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को दिल्ली में लगाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि जल्द ही जल्द ही इनको शुरू किया जाएगा। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा दिल्ली के लोगों के लिए कितने अस्पताल दिए जा रहे थे। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हाल तब है जब केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों कहते हैं कि दिल्ली उनकी है।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि जो मदद आ रही है वह भी केंद्र सरकार के अस्पतालों में हालात भेजी जा रही है और दिल्ली को नहीं किया जा रहा है जिस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर मदद आ रही है तो वह दिल्ली सरकार को सीधे दे दी जाए और वह अपने अस्पतालों में जरूरत के हिसाब से पहुंच गया। केंद्र के वकील ने कहा कि देश के दूसरे राज्य ये शिकायत कर रहे हैं कि कोरोना काल में जो मदद पहुंच रही है उसका एक बड़ा हिस्सा दिल्ली के पास रहा है। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र ने जो ऑक्सीजन प्लांट लगाए हैं, वे ऐसे अस्पताल हैं जहां पर बहुत बड़ी संख्या में कोरोना मरीज़ नहीं है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह देते हुए कहा कि जरूरत की दवाइयों के और ज्यादा उत्पादन के लिए नए लोगों को भी लाइसेंस किया जाए, जिससे कि देश की जरूरत के हिसाब से दवाइयों का उत्पादन बढ़ाया जा सके। केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के सुझाव के मुताबिक अगर कोई भी कंपनी लाइसेंस के लिए आती है तो हम उस पर विचार करेंगे।

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