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नेपाल में अब किसकी सरकार? जानिए बहुमत परीक्षण में ओली की हार के बाद क्या होगा आगे

by Sneha Shukla

नेपाल में प्रधानमंत्री केपी ओली का अपना ही खंड उल्टा पड़ गया और संसद में विश्वासमत हासिल नहीं कर पाने की वजह से उनकी सरकार चली गई है। निचले सदन में मौजूद 232 सांसदों में से 93 ने उनके पक्ष में दांव किया तो 124 वोट उनके खिलाफ पड़े। 15 सांसद तटस्थ रहे। 271 सदस्यों वाले अभ्यावेदन सभा में बहुमत हासिल करने के लिए ओली को 136 वोटों की आवश्यकता थी।

दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) की मान्यता रद्द कर दी UML और MaOist केंद्र को मई 2018 के समझौते से पूर्व की स्थिति बहाल कर दी थी। ओली ने पिछले सप्ताह कॉन्स्ट के अनुच्छेद 100 (1) के तहत बहुमत परीक्षण की घोषणा की थी।

यह भी पढ़ें: नेपाल: उल्टा पड़ गया प्रधानमंत्री केपी ओली का चिपक, गिर गया सरकार

फरवरी 2018 में ओली पैरा 72 (2) के तहत माओवादी केंद्र के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे। लेकिन यूएमएल और दहल के माओवादी केंद्र के विलय के बाद उनकी सरकार को अनुच्छेद 71 (1) के तहत रेटेड मिल गया था, क्योंकि इससे एनसीपी के सदन में पूर्ण बहुमत हो गया था।

ओली की ओर से बहुमत परीक्षण की घोषणा के बाद माओवादी केंद्र ने ओली से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया था और सरकार अल्पमत में आ गई। बहुमत परीक्षण में ओली की हार के बाद राष्ट्रपति को अब नई सरकार के गठन के लिए अनुच्छेद 76 (2) को प्रभावी करना होगा।

अनुच्छेद 76 (2) कहता है कि यदि प्रतिनिधित्व सभा में किसी पार्टी को बहुमत नहीं होगा तो राष्ट्रपति को सदन के ऐसे सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा जो एक या अधिक भागों के समर्थन से बहुमत जुटा सकते हैं। इससे नेपाली कांग्रेस को माओवादी केंद्र के समर्थन से सरकार बनाने का मौका मिलेगा, लेकिन दोनों पक्षों को नई सरकार के गठन के लिए 26 और सांसदों की आवश्यकता होगी।

काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि सदन 76 (2) के तहत सरकार का गठन में विफल रहता है या नियुक्त प्रधानमंत्री 30 दिन के भीतर बहुमत साबित नहीं कर पाता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 76 (3) को प्रभावी करेंगे। इस मामले में ओली को एक बार फिर सरकार गठन का मौका मिल सकता है।

नेपाल के संविधान के मुताबिक यदि अनुच्छेद 76 (2) के तहत सरकार का गठन नहीं हो पाता है तो राष्ट्रपति प्रतिनिधित्व सभा में सबसे बड़े दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे। ओली की पार्टी इस समय सदन में सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी है और ओली इसके नेता हैं। यदि ओली अनुच्छेद 76 (3) के तहत फिर प्रधानमंत्री बन भी जाते हैं तो उन्हें नियुक्ति के 30 दिन के भीतर एक बार फिर बहुमत परीक्षण करना होगा।]

यदि ओली बहुमत साबित नहीं कर पाते हैं तो एक बार फिर अनुच्छेद 72 (2) प्रभावी होगा, यदि कोई सदस्य यह दावा करता है कि उसे बहुमत मिल सकता है, राष्ट्रपति ऐसे सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा। ऐसे प्रधानमंत्री को भी 30 दिन के भीतर बहुमत साबित करना होगा और इसमें असफल रहने पर सदन को स्पष्ट कर दिया जाएगा।

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