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पश्चिम बंगालः चुनाव के बाद भी नंदीग्राम में जलता रहेगा राजनीति का चूल्हा, बीजेपी की कोशिश 2024 की जमीन हो मजबूत

पश्चिम बंगालः चुनाव के बाद भी नंदीग्राम में जलता रहेगा राजनीति का चूल्हा, बीजेपी की कोशिश 2024 की जमीन हो मजबूत

by Sneha Shukla

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में सत्ता की लड़ाई का केंद्र बिंदु बने नंदीग्राम का संग्राम विधानसभा चुनाव के बाद भी ख़त्म नहीं होगा। नंदीग्राम में चाहे ममता जीते या शुभेंदु अधिकारी। पश्चिम बंगाल में लगातार सुर्खियों में रहेगा और उसका केंद्र नंदीग्राम रहेगा। अगले लोकसभा चुनाव यानी 2024 तक पश्चिम बंगाल में माहौल गर्म बना हुआ है। नंदीग्राम के नतीजे तो अब ईवीएम से खुलेंगे। अभी पश्चिम बंगाल में छह चरण के चुनाव और होने हैं। इस दौरान तब माहौल पूरा सरगर्म है। लेकिन यदि आप सोच रहे हैं कि पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों के बाद राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों से ये राज्य ग़ायब हो जाएगा तो यह नहीं होने वाला है। यही राज की बात है कि कैसे पश्चिम बंगाल लगातार सुर्खियों में रहेगा और इस सियासत का शक्ति केंद्र नंदीग्राम होगा।

राज की बात यही है कि विधानसभा चुनाव में आपने पश्चिम बंगाल में जो उठापटक देखा, वह सिर्फ राज्य की नहीं बल्कि केंद्र की सत्ता का संघर्ष है। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में निश्चित रूप से इतिहास बनाने और सत्ता परिवर्तन के लिए ताकत झोंकी है। लेकिन इसके पीछे सिर्फ पश्चिम बंगाल में बीजेपी का परचम फहराना नहीं, बल्कि 2024 की ज़मीन इतनी मज़बूत करना है कि दिल्ली के रास्ते में कोई भी व्यवधान पैदा न हो। तो सवाल ये उठता है कि ये योजना क्या है? … और ये बीजेपी कैसे होगा?

बीजेपी की सोच

इस राज की बात से अब हम उठाते हैं परदा। पहली बात बीजेपी की और सोच की। विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन कर अगर बीजेपी आ जाती है तो फिर कोई बात नहीं है। दूसरा ये तो तय है कि ममता और बीजेपी में कांटे की लड़ाई है तो अगर विपक्ष में भी पार्टी आती है तो वह काफ़ी मज़बूत और उत्साह और ऊर्जा से लबरेज़ होगा। बस बीजेपी का लक्ष्य कोलकाता की रिहर्सिंग पहुंचने के साथ-साथ दिल्ली में 2024 में रायसीना हिल्स का अपना सफ़र मज़बूत करना बहुत है।

आप पूछेंगे वह कैसे? तो कोई राकेट साइंस नहीं। बीजेपी के नेतृत्व को पता है कि उत्तर भारत से लेकर पश्चिम के जिन राज्यों में वह अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुका है, वहां सत्ता विरोधी भावनाएं कुछ नुकसानदेह उससे जरूर पहुंच सकती हैं। ऐसे में जिन राज्यों में उसकी संभावनाएं हैं और अभी भी वे अपने सर्वोच्च बिंदु पर नहीं पहुंची हैं, उन्हें निशाने पर लिया गया है। ये जाहिर तौर पर पश्चिम बंगाल में सबसे पहले और उड़ीसा जैसे राज्य हैं।

इसी पश्चिम बंगाल में 2011 के पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी पश्चिम बंगाल की 18 सीटों पर जीत दर्ज की है। 42 सीटों में से 22 तृणमूल कांग्रेस के खाते में ही थे। बीजेपी का लक्ष्य अगले लोकसभा चुनाव यानी 2024 तक 25 सीटों का है। इसके लिए पार्टी लगातार अपना दमख़म झोंके रहेगी। आख़िर ये कैसे होगा? और इससे क्या हासिल होगा?

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