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पश्चिम बंगाल: हिंसा रोकने के लिये भी ममता को दिखाना होगा 'शेरनी' का रूप

पश्चिम बंगाल: हिंसा रोकने के लिये भी ममता को दिखाना होगा ‘शेरनी’ का रूप

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: बीते रविवार को चुनावी नतीजे आने के बाद से अब तक पश्चिम बंगाल में हिंसा का तांडव जारी है और इसमें 17 लोगों की मौत हो गई है।आज तीसरे मर्तबा सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी की सबसे पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि वे इस हिंसा पर काबू पाने के लिए हर कठोर तरीके अपनाएं। इसके लिए उन्हें तृणुल कांग्रेस की सुप्रीमो का नकाब उतारकर एक ऐसे सफ़्त सीएम की भूमिका में आना होगा, जो खून बहाने वालों को सिर्फ हिंसाई मानकर उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे करे, न कि अपनी पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते उसका बचाव करे.पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा का इतिहास इस बात का गवाह है कि अतीत में भी सरकारों के प्रशंसनीय के कारण हिंसा की छोटी-सी चिंगारी ने भयंकर शोलों की सूरत में कई बेक़सूर के बारे में बताया। लोगों को अपनी आगोश में लिया है।

तृणमूल की जीत के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में भड़की हिंसा की जो खबरें आ रही हैं, वे इसलिए बड़ी चिंता का विषय है कि अब इसे साम्प्रदायिक हिंसा में बदलने की कोशिश हो रही है।सवाल यह नहीं है कि यह किस पार्टी के कार्यकर्ता है साम्प्रदायिक रंग देने के प्रयास में हैं लेकिन फ़िलहाल महत्वपूर्ण यह है कि उनसे सामना करने के लिए ममता सरकार पुलिस-प्रशासन को किस हद तक सख्ती बरतने का अधिकार देती है ।ममता सरकार को एक और बात का भी खास ख्याल रखना होगा कि हिदायोईओ के खिलाफ कार्रवाई करने में अगर किसी भी तरह का राजनीतिक भेदभाव बरता गया, तो वह इस आग में घी डालने का ही काम करेगा।