बात उन दिनों की है जब एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) मुंबई में नए-नए आए थे और यहां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला भी ले लिया था। मुंबई में कुछ समय रहने के बाद नवाजुद्दीन ने गौरव किया कि यहां हर किसी की कोई ना कोई लड़की दोस्त होती है। गांव से आए नवाजुद्दीन के दिल ने भी चाहा कि अगर मेरी जिंदगी में भी कोई लड़की दोस्त हो तो लाइफ जबरदस्त हो जाएगी। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती एक लड़की से हो गई, फिर नवाजुद्दीन ने सोचा कि इसे डेट पर ले जाते हैं।
लिहाजा, नवाजुद्दीन उस लड़की को डेट पर लेकर गए थे। दोनों पार्क में घूम रहे थे। आधा घंटा बीत गया लेकिन दोनों ही खामोश रहे। लड़की परेशान हो गई और कहने लगी ‘चलो घर चलते हैं मैं यहाँ बोर हो रही हूँ।’ लड़की की ये बात सुनकर नवाजुद्दीन के दिमाग की बत्ती जली और बिना सोचे समझे उन्होंने तुरंत उस लड़की का हाथ पकड़ लिया। इस बात से लड़की और भड़क गई और कहने लगी, ‘मुझसे पूछे बिना तुम मुझे हाथ कैसे लगाया।’
नवाजुद्दीन डर गया कि कहीं लड़की का गुस्सा यहां सार्वजनिक जमा ना हो जाए और मुफ्त में जूते न खाए जाएं। नवाजुद्दीन उस लड़की को मनाने के लिए उसे रिक्वेस्ट करने लगे और इसी दौरान उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। नवाजुद्दीन के आंसू देखकर लड़की का गुस्सा ठंडा पड़ गया। उसे लगा कि ये लड़के अच्छे घर का है क्योंकि इतना डांट खाने के बाद भी ये मुझसे रिक्वेस्ट कर रहा है।
उस लड़की ने नवाजुद्दीन का हाथ पकड़ा और उसे गले से लगा लिया। इतना ही नहीं, उन्होंने नवाज के गाल पर भी क्या किया। तब जाकर नवाजुद्दीन सिद्दीकी का रोना बंद हुआ। इस बात का जिक्र नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने डायरेक्टर अनुराग कश्यप से किया था। अनुराग को ये किस्सा इतना पसंद आया कि उन्होंने फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में इसे एक सीन बनाकर डाल दिया। ये सीन हुमा कुरैशी और नवाजुद्दीन पर फिल्माया गया था।
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