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पाबंदियां सख्त लेकिन कोविड-19 टीकाकरण मंद, देश के दो तिहाई जिलों में चिंताजनक कमी

पाबंदियां सख्त लेकिन कोविड-19 टीकाकरण मंद, देश के दो तिहाई जिलों में चिंताजनक कमी

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> 1 मई से नए नियम के साथ शुरू होने टीकाकरण अभियान के बाद सभी जिलों में से लगभग दो चरण ने टीकाकरण में चिंताजनक कमी दर्ज की है। एक पत्र को मिले जिलेवार आंकड़ों के हवाले से खुलासा हुआ है। गौरतलब है कि इन जिलों में 20 की दर से ज्यादा पॉजिट रेट पास के मामले सामने आ रहे थे। इससे न केवल राष्ट्रीयकरण कार्यक्रम की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा होता है बल्कि वैक्सीन की समानता पर भी सवाल खड़ा होता है।

2 मई और 8 मई के बीच 306 जिले में 20 फीसद से ज्यादा पॉजिट और पास दर्ज कर रहे थे। इन जिलों के लिए केंद्र की रणनीति ब्रिटिश मॉडल से मिलती जुलती थी। यानी सख्त रोकथाम के उपाय को लागू करना और समानांतर रूप में संचरण का चक्र तोड़ने के लिए टीकाकरण का विस्तार। लेकिन नए नियम लागू होने के बाद इन 306 जिलों के 67 फीसदकैनीकरण में गिरावट दर्ज कर रहे हैं। हालांकि, इन जिलों में सख्त नियंत्रण लागू किए जा रहे हैं, लेकिन कमजोर आबादी के बीच मौत दर कम करने और ट्रांसमिशन के चेन को तोड़ने के लिए आक्रामक टीकाकरण नहीं पूरा किया जा रहा है। संक्षेप में कहा जाए तो, वास्तविक पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। टीकाकरण में स्पष्ट रूप से गिरावट 24 से 30 अप्रैल के मुकाबले 1 मई और 7 मई को दर्ज की गई।

1 मई से केवल 50 फीसद डोज केंद्र के द्वारा सीधे राज्यों को दिए जाते हैं, जबकि बचे 50 फीसद की खरीदारी के खुले बाजार से होता है। इन 306 अधिक पॉजिटिव श्रेणी वाले जिलों में 24-30 अप्रैल के बीच 77.23 डोज लगवाया गया, लेकिन ये आंकड़ा 1-7 मई के बीच 21.64 फीसद गिरकर 60.51 लाख हो गया। 66 फीसद जिलों में टीकाकरण में गिरावट उस समय से शुरू हुई जब राज्यों को 18-44 आयु समूह वालों को टीकाकरण के लिए 50 फीसद डोज की खरीदारी का अधिकार चाहिए। दूसरी वजह ज्यादातर संख्या का देश के ग्रामीण जिलों में शामिल होना था। 1-7 मई के बीच 19.11 लाख डोज में लगभग 40 फीसद दिल्ली और हरियाणा में लगाए गए। इससे संकेत मिलता है कि 101 जिलों में टीकाकरण की वृद्धि के बावजूद कुछ राज्यों में ये केंद्रित हो जाता है।

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