कोरोना की दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर उतना असर नहीं होगा जितनी की कीविड की पहली लहर का देखा गया था। यह अनुमान अर्थव्यवस्था के विभिन्न पैमानों के आधार पर रेटिंग करने वाली एजेंसी ‘FITCH (फिच)’ ने जाहिर किया है। कोरोना के कारण भारत में अप्रैल-मई में आर्थिक विकलांगताएं घटी हैं जिनका असर तो देखने को मिलेगा, लेकिन ये झटका पिछले साल के मुकाबले कम होगा।
सुधार आने में लग सकता है
हालांकि फिच ने ये भी कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण अर्थव्यवस्था में जो सुधार आने वाले थे, उनमें देरी हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए हाल ही में जो कदम उठाए हैं, उनका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा। फिच ने कोरोना की दूसरी लहर से सामना के लिए भारत में जारी टीकाकरण अभियान की चाल को बेहद कम बताया है। फिच ने भारत में 5 मई तक हुई टीकारण के आंकडों के हवाले से कहा है कि इस समय तक देश की केवल 9.4 प्रतिशत आबादी को ही वैक्सीन लगाई जा सकी है।
वैक्सीनेशन की अप में आई सुस्ती चिंताजनक
देश में वैक्सीन की कमी से टीकाकरण अभियान की कोशिश में आई कमी चिंता का विषय है। 5 अप्रैल को भारत में एक दिन में सबसे ज्यादा 45 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी। लेकिन उसके बाद से टीकाकरण की गति धीमी हो गई। मई के पहले सप्ताह में तो ये आंकड़े 15-16 लाख वैक्सीन प्रति दिन तक पहुंच गए थे। हालांकि पिछले कुछ दिनों में रोजाना होने वाले टीकाकरण का आंकडा 20-22 लाख के बीच है, लेकिन देश की जरूरत के लिहाज से ये आंकडा भी काफी कम है। देश की इतनी बड़ी आबादी कोके लगाने के लिए रोजाना 70 लाख लोगों को टीका लगाए जाने की जरूरत है।
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