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मुंबई: राज्य इंटेलिजेंस विभाग की शिकायत के बाद फोन टैपिंग मामले में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ साइबर सेल में मामला दर्ज किया गया है। शिकायत में कहा गया है कि इंटेलिजेंस विभाग के गुप्त पत्र गैर कानूनी तरीके से हासिल किए गए हैं। अब वहाँ ओपिशियल सीक्रेट एक्ट 1930 की शाखा 5 के तहत, भारतीय टेलीग्राम अधिनियम 1885 की धारा 30 के तहत अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल, फोन टैपिंग मामले में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। बवाल मचने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कोटव ठाकरे ने राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे से रिपोर्ट तलब की थी। कुंटे ने सीएम को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि तत्कालीन इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने सरकार को गुमराह किया और कुछ निजी व्यक्तियों के फोन टैप किए। कुंटे ने रश्मि शुक्ला के कदम की कड़े शब्दों में आलोचना की है।
सूत्रों के मुताबिक, फोन टैप मामले में पुलिस नेता विपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी हस्तक्षेप कर सकती है। वहीं आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को भी कुछ दिनों में हस्तक्षेप के लिए बुलाया जा सकता है। दरअसल, पुलिस यह जानना चाहती है कि गुप्त दस्तावेज आखिर लीक कहां से हुए और किसने किए। इस मामले को पहली बार नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जनता के सामने लाए थे।
ट्रांसफर रैकेट का खुलासा
दरअसल, कुछ दिनों पहले पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला के टॉप सीक्रेट डॉक्यूमेंट के हवाले से ट्रांसफर रैडेट का खुलासा किया था। फडणवीस ने आरोप लगाया था कि कुछ एजेंट और राजनीतिक लोगों की मदद से कई पुलिस अधिकारी मनचाही पोस्टिंग पाने में कामयाब रहे। 25 अगस्त 2020 को तत्कालीन इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने एक गुप्त जानकारी के आधार पर अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह से इजाजत के बारे में कुछ फोन टैप किए थे, जिसमें कई सनसनीखेज चीजों के सामने आई थी।
हालांकि मुख्य सचिव ने जो रिपोर्ट सीएम को सौंपी उसमें साफ तौर पर कहा गया कि आतंकवाद, दहशतवाद, विद्रोह इन जैसे कार्यों को पकड़ने के लिए फोन टैप करने की इजाजत दी जाती है और इसके लिए रश्मि शुक्ला ने इजाजत मांगी थी, जो उन्हें दी गई थी था लेकिन भारतीय टेलीग्राफ एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार कर रश्मि शुक्ला ने दी गई इजाजत का गलत इस्तेमाल किया।
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