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बंगाल में प्रचंड जीत के बाद आज TMC नेताओं के साथ ममता बनर्जी की बैठक, शाम में राज्यपाल से भी मुलाकात

by Sneha Shukla

पश्चिम बंगाल में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली ममता बनर्जी आज कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इसक बैठक में शपथ की तारीख और आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। वहीं, राजभवन के सूत्र के मुताबिक, ममता बनर्जी शाम सात बजे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलेंगी और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगी।

आपको बता दें कि टीएमसी को 213 सीटों पर जीत मिली है। इस चुनाव में लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन खाता भी नहीं खुला। वहीं, 200 सीटों पर जीत का दावा करने वाली बीजेपी को 77 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को साम्प्रदायिक सौहार्द को बचाए रखने की अपनी लड़ाई की जीत बताई। अपनी पार्टी को राज्य में भारी जीत दिलाने वाली ममता बनर्जी को हालांकि खुद नंदीग्राम सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा। निर्वाचन आयोग के मुताबिक भाजपा के शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें 1736 मतों से उपकरण दिए हैं। सीट पर परिणाम की घोषणा से पहले ही बनर्जी ने शाम को कहा था कि वह जनादेश का स्वागत करेंगी।

उन्होंने कहा, ” लेकिन मुझे लगता है कि मेरी जीत की खबर आने के बाद कुछ गड़बड़ी हुई है। इसके बाद सुनने में आया कि परिणाम बदल गया है। मैं इस मुद्दे पर अदालत जाऊंगी। ” नंदीग्राम में स्थिति को लेकर बनर्जी कुछ निराश हैं। सिर्फ नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ रही बननेर्जी ने कहा कि उन्होंने अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से चुनाव ना लड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ा था क्योंकि यहीं से उन्होंने कृषि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ” नंदीग्राम के लोगों को तय करने दें। उनका जो भी जनादेश होगा, मुझे स्वीकार्य होगा। लेकिन हमारी (तृणमूल कांग्रेस) जीत शानदार है और इसके लिए राज्य की महिलाओं, युवाओं, अल्पसंख्यकों ने वोट दिया है। ”

ममता बनर्जी का जीवन परिचय
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद ममता बनर्जी की छवि एक ऐसे सैनिक और andंदर के रूप में बनी हुई है जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली भाजपा की चुनीवी युद्ध मशीन को भी हरा दिया। तीसरी बार की यह जीत न सिर्फ राज्य में बनर्जी की स्थिति को और मजबूत करेगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में मदद करेगी।

बनर्जी ने एक दशक से अधिक पहले सिंगूर और नंदीग्राम में सड़कों पर हजारों किसानों का नेतृत्व करने से लेकर आठ साल तक राज्य में बिना किसी चुनौती के शासन किया। आठ साल के बाद उनके शासन को 2019 में तब चुनौती मिली जब भाजपा ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर अपना परचम फहरा दिया।

नंदीग्राम और सिंगूर से राजनीतिक यात्रा को तीव्र गति मिली
बनर्जी (66) ने अपनी राजनीतिक यात्रा को तब तीव्र धार प्रदान की जब उन्होंने 2007-08 में नंदीग्राम और सिंगूर में नाराज लोगों का नेतृत्व करते हुए वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ राजनीतिक युद्ध का शंखनाद कर दिया। इसके बाद वह सत्ता के शक्ति केंद्र ‘नबन्ना तक पहुंच गए। पढ़ाई के दिनों में बनर्जी ने कांग्रेस स्वयंसेवक के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। यह उनके करिश्मे का ही कमाल था कि वह संप्रग और राजग सरकारों में मंत्री बने।

राज्य में परिचालनीकरण के लिए किसानों से ‘जबरन भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर वह नंदीग्राम और सिंगूर में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ दीवार बनकर ढेर हो गए और आंदोलनों का नेतृत्व किया। ये आंदोलन उनकी किस्मत बदलने वाले रहे और तृणमूल कांग्रेस एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई।

कांग्रेस से अलग होकर टीएमसी का गठन हुआ
बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद जनवरी 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की और राज्य में कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए उनकी पार्टी आगे बढ़ती चली गई। पार्टी के गठन के बाद राज्य में 2001 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो तृणमूल कांग्रेस 294 सदस्यीय विधानसभा में 60 सीट जीतने में सफल रही और वाम मोर्चे को 192 सीट मिली। वहीं, 2006 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की ताकत आधी रह गई और यह केवल 30 सीट ही जीत पाई, जबकि वाम मोर्चे को 219 सीटों पर जीत मिली।

वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से शानदार जीत दर्ज करते हुए राज्य में 34 साल से सत्ता पर काबिज वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका। उनकी पार्टी को 184 सीट मिलीं, जबकि कम्युनिस्ट 60 सीटों पर ही सिमट गए। उस समय वाम मोर्चा सरकार विश्व में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली निर्वाचित सरकार थी।

2016 में TMC को दिलाई शानदार जीत
बनर्जी अपनी पार्टी को 2016 में भी शानदार जीत दिलाने में सफल रहे और तृणमूल कांग्रेस की झोली में 211 सीट आईं। इस बार के विधानसभा चुनाव में बनर्जी को तब झटके का सामना करना पड़ा जब उनके विश्वासपात्र रहे शुभेन्दु अधिकारी और पार्टी के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए। बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मी बनर्जी पार्टी के कई नेताओं की बगावत के बावजूद अंतत: अपनी पार्टी को तीसरी बार भी शानदार जीत दिलाने में कामयाब रही।

इस चुनाव में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन बनर्जी एक ऐसे सैनिक और रणदर निकलीं जिन्होंने भगवा दल की चुनीवी युद्ध मशीन को पराजित कर दिया। वह 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में कोलकाता दक्षिण सीट से लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं।

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