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भारत और यूरोपीय संघ फिर शुरू करेंगे मुक्त व्यापार और निवेश समझौते पर वार्ता प्रक्रिया

भारत और यूरोपीय संघ फिर शुरू करेंगे मुक्त व्यापार और निवेश समझौते पर वार्ता प्रक्रिया

by Sneha Shukla

नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच शनिवार को एक ऐतिहासिक वर्ग बैठक संपन्न हुई। यह ऐतिहासिक इसलिए भी था क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री से मिलने के लिए यूरोपीय संघ के नेता जमा हुए थे। इस दौरान भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार और निवेश समझौते पर बीते करीब 7 साल से रुकी बातचीत प्रक्रिया फिर से शुरू होने पर सहमति बनी।

ईयू प्लस 27 के इस फॉर्मेट में इसके पहले केवल अमेरिका के साथ ही बैठक हुई है। बैठक मार्च 2021 में हुई थी। इस बैठक की अगुवाई पुर्तगाल ने की जिसके पास इस वक्त यूरोपीय संघ की प्रवृत्ति है।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच बेहतर राजनीतिक रिश्तों के मजबूत आर्थिक आधार भी हैं। वर्ष 2019-20 में यूरोपीय संघ भारत के लिए गुड्स कारोबार में सबसे बड़ा साझेदार रहा है। दोनों के बीच कारोबार का आंकड़ा 90 अरब डॉलर से अधिक का है।

भारत और यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच शनिवार को हुई शिखर बैठक मुख्य तो तीन बिंदुओं पर केंद्रित थी। पहला उपकरण, श्रृंखला और कनेक्टिविटी। दूसरा, कोक्वि 19, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन। तीसरा, विदेशनीति, सुरक्षा और क्षेत्रीय मुद्दा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल यूरोपीय संघ बल्कि हर एक यूरोपीय देश के साथ भारत के बेहतर रिश्तों को 21 वीं शताब्दी में वैश्विक बेशकीमती समझौते पर हस्ताक्षर किए। बैठक में 19 यूरोपीय देशों के प्रमुखों ने भी सम्बोधित किया।

भारत और यूरोपीय संघ ने एक संयमित और व्यापक मुक्त व्यापार और निवेश समझौते पर बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया। मुक्त व्यापार और निवेश सहमतिएं समान अंतर पर बातचीत की प्रक्रिया चलती हैं। महत्वपूर्ण है कि यह बातचीत 2013 से रुकी हुई थी। भारत के केंद्रीय मंत्री और यूरोपीय संघ कमिश्नर QE संयुक्त शीर्ष वार्ता समिति समिति और निवेश संबंधितधी बातचीत का मार्गदर्शन करेगी।

उम्मीद है कि भारतीय डेरी उत्पादों के लिए यूरोपीय बाज़ारों के दरवाजे खोलने से लेकर भारतीय कामगारों के मुद्दे फिर से शुरू हो रहे वार्ताओं में हल करने का प्रयास होगा। गौरतलब है कि कुछ समय पहले यूरोपीय संघ ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे प्रयासों को संरक्षणवादी करार दिया था।

दोनों पक्षों ने विश्व व्यापार संगठन और प्रबंध संस्थाओं के बीच तालमेल संबंधी मामलों पर भी बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का फैसला किया है। मार्केट एक्सेसरीज और ग्लोबल सप्लाई चेन जैसे विषय भी शामिल हैं। ज्योग्राफिक इंडिकेट्स पर एक अलग समझौते को लेकर भी दोनों पक्षों ने एक स्वतंत्र बातचीत प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय किया है।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक व्यापक संपर्क भागीदारी को लेकर भी सहमति बनी हुई है। इसमें डिजिटल, परिवहन, परिवहन और लोगों के बीच कनेक्टिविटी जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसके माध्यम से दोनों पक्ष कनेक्टिविटी की योजनाओं में निवेश बढ़ाएं। ग्रीन बॉन्ड रियल एस्टेट निवेश कोष, इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट आदि के माध्यम से सस्टे परियोजनाओं को और अधिक निवेश किया जाएगा। इतना ही नहीं इसके माध्यम से अफ्रीका और हिंद प्रशांत के क्षेत्र में भी दोनों पक्ष संयुक्त परियोजनाओं को आगे बढ़ाएंगे।

दोनों पक्ष तकनीक के नए क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाएंगे। इसमें 5G, नेटवर्क सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि शामिल हैं। सहयोग बढ़ाने के लिए स्टार्टअप अप करने, डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग करने के लिए ठोस तरीके से निवेश करेंगे। कोविद -19 के मुद्दे पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय संघ के देशों की तरफ से मिल रही मदद पर धन्यवाद व्यक्त किया और उनकी सराहना की।

यूरोपीय संघ ने भारत और दक्षिण अफ्रीका की ओर से उठाई गई बौद्धिक संपदा व्यवस्था ट्रिप्स में रियासत संबंधी प्रस्ताव पर भी समर्थन दिया। ईयू ने इस बात पर सहमति जताई कि इस तरीके की रियायत से दुनिया में राष्ट्रीय उत्पादन तेजी से आगे बढ़ सकेगा। इस मामले पर अगले कुछ दिनों में विश्व व्यापार संगठन वार्ताओं में ईयू का क्या रुख रहता है इसपर हमारी नज़र रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और ईयू के बीच में मजबूत संबंध एक बहुपक्षीय व नियम आधारित व्यवस्था को मजबूती देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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