भारत में कोविद -19 के मामलों में तीव्र वृद्धि के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि देश में सार्स सीओवी -2 के चिंताजनक प्रारूप से अब तक कुल 1189 नमूनों की जांच की गई है। मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 1109 नमूने ब्रिटिश प्रारूप से सकारात्मक पाए गए हैं जबकि 79 नमूने दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप से और एक नमूना माइकल यूरिया प्रारूप से प्रभावी है। उन्होंने कहा कि 15 अप्रैल तक 13614 वर्ग को संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (डब्ल्यूजीएस) के लिए 10 नामित आईबीसीएसीओजी प्रयोगशालाओं में किए गए।
मंत्रालय ने कहा, इनमें से 1189 नमूने भारत में सार्स सीओवी -2 के चिंताजनक स्वरूपों से सतर्क पाए गए हैं। इनमें ब्रिटिश प्रारूप के 1109 नमूने, दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के 79 नमूने और जेशियन प्रारूप का एक नमूना शामिल है। भारतीय सार्स सीओवी -2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईट्सएसीओजी) पूर्ण जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से भारत में सार्स को विभाजित -2 के जीनोम में बदलावों की निरंतर निगरानी के लिए दिसंबर 2020 में बनाया गया 10 प्रयोगशालाओं / नेटवर्क है।
अपना स्वरूप बदल रहा है कोरोनावायरस
कोरोनावायरस अपना स्वरूप बदल रहा है और कई देशों में उसके विभिन्न स्वरूप मिले हैं जिनमें ब्रिटेन में 17, जिन में 17 और दक्षिण अफ्रीका में मिले 12 स्वरूप शामिल हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, इन स्वरूपों की फैलने की क्षमता काफी ज्यादा है। ब्रिटिश स्वरूप व्यापक रूप से ब्रिटेन, समूचे यूरोप में पाया गया और एशिया और अमेरिका में भी फैल गया है। इसमें कहा गया, दोहरा उत्पीड़न (2 म्यूटेशन्स) एक अन्य स्वरूप है और यह ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी, आईआर, नामीबिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, ब्रिटेन और अमेरिका सहित कई देशों में पाया गया है। इस प्रारूप के ज्यादा प्रसारने की क्षमता अब तक स्थापित नहीं हुई है।
इस प्रारूप में भी आरटीपीसीआर जांच सफल रही
इसमें कहा गया कि भारत में परिवर्तन का पता लगाने के लिए की जा रही आरटी-पीसीआर जांच से ये प्रारूप बच नहीं सकता क्योंकि इस जांच में दो से ज्यादा जीन को लक्षित किया जाता है। बयान के मुताबिक आरटी-पीसीआर जांच की संवेदनशीलता और विनिर्देश पूर्व की तरह बरकरार है। बयान में कहा गया, इन स्वरूपों के सामने आने से प्रबंधन की रणनीति में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है जो पहले की तरह जांच, संपर्क का पता लगाने, नजर रखने और उपचार पर केंद्रित है। कोविड -19 का प्रसार रोकने के लिए संकाय का इस्तेमाल सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच बना हुआ है।
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