Home » भारत से चीनी-कपास के आयात पर इमरान के यूटर्न पर बवाल, पाक कारोबारी बोले- बर्बाद हो जाएंगे
DA Image

भारत से चीनी-कपास के आयात पर इमरान के यूटर्न पर बवाल, पाक कारोबारी बोले- बर्बाद हो जाएंगे

by Sneha Shukla

[ad_1]

भारत से चीनी और कपास के आयात को मंजूरी देने के फैसले पर पाकिस्तान को यूटर्न लेना एक्सपायर पड़ रहा है। भारत से चीनी और कपास के फैसले पर फैसला को पलटने को लेकर पाकिस्तान मे दो फाड़ हो चुका है। इस यूटर्न पर न सिर्फ इमरान खान सरकार की आलोचना हो रही है, बल्कि टेक्स्टाइल सेक्टर इसका भारी विरोध कर रहा है। पाकिस्तान में टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने इमरान खान के इस फैसले को निराशाजनक बताया है और कहा है कि इससे हमारा कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।

डॉन के कहते हैं, पाकिस्तान परिधान (कपड़े) मंच के अध्यक्ष जावेद बिलवानी ने गुरुवार को कहा कि संघीय क्रेन के फैसले ने कपड़ा निर्यात उद्योग को निराश किया है। उन्होंने केंद्र निदेशक अब्दुल रजाक की सिफारिश को भारत से सूती परीक्षा के लिए को यथार्थवादी और समय की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि भारत से कपास का आयात करना पाकिस्तान और टेक्सटाइल उद्योग के हित में था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार को भारत से कपास के आयात के मसले पर फिर से गंभीर विचार करना चाहिए।

बता दें कि गुरुवार को पीएम इमरान खान के नेतृत्व में हुई काउंटर मीटिंग में सरकारी पैनल के फैसले को पलटने पर मुहर लग गई। इससे पहले पाकिस्तान की इकॉनमिक कॉर्डिनेशन कमिटी ने भारत से चीनी और कपास के आयात को मंजूरी दी थी। दरअसल पाकिस्तान में इन उत्पादों की महंगाई काफी बढ़ गई है। ऐसे में महंगाई से सामना के लिए भारत से शुरुआत फिर शुरू करने का फैसला लिया गया था। लेकिन इस पर भी राजनीति शुरू हो गई और अधीन में इमरान खान सरकार ने फैसले को पलट दिया।

जावेद बिलवानी ने कहा कि पाकस्तान सरकार द्वारा इकॉनमिक कॉर्डिनेशन कमिटी यानी ईसीसी के प्रस्ताव को अस्वीकार करने से विदेशी लोगों के बीच नकारात्मक संदेश जाएगा और इस वक्त पाकिस्तान में सूती धागा उपलब्ध नहीं है। दरअसल, बड़े नुकसान से बचने के लिए पाकिस्तान का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट सेक्टर लगातार भारत सहित पूरी दुनिया से ड्यूटी फ्री सूटिंग रिकार्ड के सौदे की मांग कर रहा है। भारत से कपास खरीदने वाले अन्य देशों के मुकाबले पाकिस्तान को सस्ता करेंगे। यही कारण है कि टेक्सटाइल सेक्टर इमरान खान के इस फैसले का विरोध कर रहा है।

बिलवानी ने दावा किया कि काउंटर के फैसले के बाद पाकिस्तान में एसटीआई की कीमत काफी बढ़ गई है। अगर सरकार भारत से कपास आयात करने की अनुमति नहीं देना चाहती तो सरकार को देश में सूती उद्योगों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने आशंका जताई कि पड़ोसी देश से सूती सेना के फैसले की अनुमति नहीं मिलने पर पाकिस्तान का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट लाइट तरह से अनंत होगा और एक्सप घटेगा। बिलवानी ने कहा कि अगर सरकार भारत से सूती वाहनों के सौदे की अनुमति नहीं देना चाहती है तो उसे कम से कम अगले छह महीने के लिए कपास और सूती कपड़े के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पाकिस्तान में टेक्सटाइल इंडस्ट्री काफी खराब दौर से गुजर रही है। भारत से कपास खरीद का सौदा कितना फायदेमंद होता है, इसके लिए बिलवानी में भी उल्लेख है। बिलवानी के मुताबिक, कोरोनाइरस महामारी के कारण समुद्र के रास्ते भाड़े में पहले ही 700 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है और माल अब 25 दिनों के बजाय 105 दिनों में अपने विदेशी संकेत पर पहुंच रहा है।

पाकिस्तान की ओर से फैसले को स्पष्ट करने को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ कहा नहीं गया है। यदि इकॉनमिक कॉर्डिनेशन कमता का फैसला लागू होता है तो दो साल बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार की शुरुआत होती है। दरअसल अगस्त 2019 में भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से कारोबार बंद करने का फैसला लिया था। बुधवार को ही पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री हम्माद अजहर ने भारत के साथ कारोबार शुरू करने का ऐलान किया था। उन्होंने भारत से कपास और चीनी के आयात की बात कही थी। यही नहीं भारत से कारोबार शुरू करने के सवाल पर उन्होंने अपने फैसले का बचाव भी किया था।



[ad_2]

Source link

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment