नई दिल्ली: मद्रास हाई कोर्ट द्वारा निर्वाचन आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में को विभाजित -19 की दूसरी लहर के लिए & lsquo; & lsquo; अकेले & rsquo; & rsquo; जिम्मेदार है। सूत्रों ने कहा कि आयोग ने पहले बिहार में और फिर चार राज्यों व एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव के दौरान को विभाजित -19 से आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाए।
सूत्रों ने कहा कि कोविड -19 से। के लिए आपदा प्रबंधन कानून का लागूयन सुनिश्चित करना राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की जिम्मेदारी है, लेकिन आयोग ने संक्रमण से लोगों को बचाने के उद्देश्य से पश्चिम बंगाल में प्रचार मुहिम पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों को लागू किया। & nbsp; एक अधिकारी ने कहा। कहा कि नवंबर 2020 में सफलतापूर्वक बिहार विधानसभा चुनाव कराने के लिए आयोग की क्षमता की व्यापक प्रशंसा हुई थी। इस चुनाव में सात करोड़ 30 मतदाताओं ने 1,06,000 मतदान केंद्रों पर मतदान किया था।
उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा की गई
उन्होंने कहा, & lsquo; & lsquo; उस समय महामारी अपने न्यूनतम स्तर पर थी। देश में फरवरी में प्रति दिन लगभग 11,000 नए मामले सामने आ रहे थे और जनवरी-फरवरी में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में उपचाराधीन मामलों में गिरावट आ रही थी। टीकाकरण चालू हो गया था और आर्थिक सुधार के संकेत मिलने लगे थे। & rsquo; & rsquo;
सूत्रों ने कहा कि को विभाजित -19 संबंधित परिस्थिति में सुधार, समग्र पुनरुद्धार के संकेत और दूसरी लहर की आशंका की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। नहीं होने के बावजूद आयोग ने सावधानी से कदम उठाने का फैसला किया, सभी एहतियातन कदम उठाए और उन सभी राज्यों में को विभाजित -19 संबंधित प्रोटोकॉल का पालन किया गया, जहां चुनाव होने थे।
निर्वाचन आयोग। सबसे गैर जिम्मेदार संस्था है- मद्रास हाई कोर्ट
उन्होंने कहा कि TN, असम, केरल और पुडुचेरी में को विभाजित -19 के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि से पहले छह अप्रैल को चुनाव समाप्त हो गए थे। सूत्रों ने कहा कि वैश्विक महामारी अप्रत्याशित रूप से फैली और इसी तरह आयोग ने भी अप्रत्याशित कदम उठाए हैं। & nbsp; उल्लेखनीय है कि मद्रास हाई कोर्ट ने निर्वाचन आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में को विभाजित -19 की दूसरी लहर के लिए ‘अकेले’ कहा। जिम्मेदार करार दिया और कहा कि वह ‘सबसे गैर-जिम्मेदार संस्था’ है। अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है। इसने कहा कि निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को रैलियों और सभाओं को करने की अनुमति देकर महामारी को फैलाने का मौका दिया।
Homepage | Click Hear |