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मातृ दिवस: एना जार्विस

मातृ दिवस: जिसने शुरू किया, उसने ही की खत्म करने की कोशिश, उनका परिवार ही नहीं मनाता यह दिन

by Sneha Shukla

सार

हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे यानी मातृ दिवस मनाया जाता है। करीब 110 साल से यह परंपरा चल रही है। इस दिन की शुरुआत एना जार्विस ने की थी। उन्होंने यह दिन अपनी मां को समर्पित किया और इसकी तारीख इस तरह की कि वह उनकी मां की पुण्यतिथि 9 मई के आसपास ही बताए।

मातृ दिवस: एना जार्विस
– फोटो: सोशल मीडिया

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मदर्स डे की आपने तमाम कहानियाँ पढ़ी होंगी। जाना होगा कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? इस दिन माँओं को समर्पित किया गया? कैसे इस दिन को उनके बलिदान के लिए यादगार बनाया गया? कैसे इस दिन मांओं को सराहा गया और उनकेप्रिंटन को धन्यवाद दिया गया? लेकिन आप क्या जानते हैं कि जिस महिला ने इस दिन की शुरुआत की थी, उसने ही इसे खत्म करने की कोशिश भी की। यकीनन उनकी यह कोशिश सफल नहीं रही, लेकिन उनका परिवार और राहत यह दिन नहीं मनाते हैं। इसकी वजह क्या थी? क्यों इस दिन की शुरुआत में ही इसका विरोध बंद हो गया? इन तमाम सवालों से रूबरू होते हैं इस रिपोर्ट में …

हर कोई नहीं जानता है कि हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे यानी मातृ दिवस मनाया जाता है। करीब 110 साल से यह परंपरा चल रही है। इस दिन की शुरुआत एना जार्विस ने की थी। उन्होंने यह दिन अपनी मां को समर्पित किया और इसकी तारीख इस तरह की कि वह उनकी मां की पुण्यतिथि 9 मई के आसपास ही बताए। गौर करने वाली बात यह है कि इस बार मदर्स डे 9 मई को ही पड़ रहा है।

दरअसल, मदर्स डे की शुरुआत एना जार्विस की मां एन रीव्स जार्विस करना चाहती थीं। उनकी मकसद मांओं के लिए एक ऐसे दिन की शुरुआत करना था, जिस दिन अतुलनीय सेवा के लिए मांओं को सम्मानित किया जाना चाहिए। हालांकि, 1905 में एन रीव्स जार्विस की मौत हो गई और उनका सपना पूरा करने की जिम्मेदारी उनकी बेटी एना जार्विस ने उठा ली। हालांकि, एना ने इस दिन की थीम में थोड़ा बदलाव किया। उन्होंने कहा कि इस दिन लोग अपनी मां के बलिदान को याद करते हैं और उसकी सराहना करते हैं। लोगों को उनका यह विचार इतना पसंद आया कि इसे हाथोंहाथ ले लिया गया और एन रीव्स के निधन के तीन साल बाद यानी 1908 में पहली बार मदर्स डे मनाया गया।

दुनिया में जब पहली बार मदर्स डे मनाया गया तो एना जार्विस एक तरह से इसकी डाक गर्ल थी। उन्होंने उस दिन अपनी मां के पसंदीदा सफेद कार्नेशन फूल महिलाओं को बांटे, जिन्हें जाने में ही ले लिया गया। इन फूलों का व्यवसायीकरण इस कदर को बढ़ाता है कि आने वाले वर्षों में मदर्स डे पर सफेद कार्नेशन फूलों की एक तरह से कालाबाजारी होने लगी है। लोग ऊंचे से ऊंचे दामों पर उन्हें खरीदने की कोशिश करने लगे। यह देखकर एना भड़क गई और उन्होंने इस दिन को खत्म करने की मुहिम शुरू कर दी।

मदर्स डे पर सफेद कार्नेशन फूलों की बिक्री के बाद टॉफी, चॉकलेट और तमाम तरह के गिफ्ट भी चलन में आने वाले हैं। ऐसे में एना ने लोगों को फटकारा भी। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने लालच के लिए बाजारीकरण करके इस दिन की अहमियत ही दिन दी। वर्ष 1920 में तो उन्होंने लोगों से फूल न खरीदने की अपील भी की। एना अपने आखिरी वक्त तक इस दिन को खत्म करने की मुहिम में लगे रहे। उन्होंने इसके लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी और 1948 के आसपास एना इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

मदर्स डे के बाजारीकरण के खिलाफ एना की मुहिम का असर भले ही पूरी दुनिया पर न हुआ हो, लेकिन उनके परिवार के लोग व रिश्तेदार यह दिन नहीं मनाते हैं। दरअसल, कुछ साल पहले मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में एना की रिश्तेदार एलिजाबेथ बर ने बताया था कि उनके आंटियों और पिता ने कभी मदर्स डे नहीं मनाया, क्योंकि वे एना का काफी सम्मान करते थे। वे एना की उस भावना से काफी प्रभावित थे, जिसमें कहा गया था कि बाजारीकरण ने इस बेहद खास दिन के मायने ही बदल दिए हैं।

विस्तार

मदर्स डे की आपने तमाम कहानियाँ पढ़ी होंगी। जाना होगा कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? यह दिन माँओं को समर्पित किया गया? कैसे इस दिन को उनके बलिदान के लिए यादगार बनाया गया? कैसे इस दिन मांओं को सराहा गया और उनकेप्रिंटन को धन्यवाद दिया गया? लेकिन आप क्या जानते हैं कि जिस महिला ने इस दिन की शुरुआत की थी, उसने ही इसे खत्म करने की कोशिश भी की। यकीनन उनकी यह कोशिश सफल नहीं रही, लेकिन उनका परिवार और राहत यह दिन नहीं मनाते हैं। इसकी वजह क्या थी? क्यों इस दिन की शुरुआत में ही इसका विरोध बंद हो गया? इन तमाम सवालों से रूबरू होते हैं इस रिपोर्ट में …


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