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मिस्र के शख्स ने बिच्छू के जहर को ऐसे बनाया आमदनी का जरिया, एक ग्राम का दाम जानकर रह जाएंगे हैरान

मिस्र के शख्स ने बिच्छू के जहर को ऐसे बनाया आमदनी का जरिया, एक ग्राम का दाम जानकर रह जाएंगे हैरान

by Sneha Shukla

काहेरा: पश्चिमी रेगिस्तान के एक जापान में हजारों जीवित बिच्छुओं से घिरे अहमद अबू अल सत्तार कतर जहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दो दशक तक तेल क्षेत्र में काम कर चुके पेशे से जालंधर इंजीनियर अल सत्तार ने 2018 में एक अलग राह अपनाने का फैसला किया। उन्होंने सोचा कि क्यों नहीं बिच्छू के जहर का उत्पादन दवा रिसर्च की खातिर किया जाए।

बिच्छू के जहर को बनाया आमदनी का जरिया

सफेद अरब कोट पहने हुए 44 वर्षीय इंजीनियर ने कहा, “मैं इंटरनेट पर कुछ ढूंढ रहा था, इस दौरान मैंने पाया कि बाजार में बिच्छू का जहर एक सबसे अधिक उत्पाद है। इसलिए मैंने खुद से सवाल किया, क्यों नहीं इस रेशमी पर्यावरण का फायदा उठाया। जहां बिच्छू इधर-उधर फिरते हैं? ” बायोमेडिकल शोधकर्ता बिच्छू के जहर का औषधीय गुण पर अध्ययन कर रहे हैं, जिन्होंने दुर्लभ और सांस्कृतिक न्यूरोटॉक्सिन को अत्यधिक मांग वाली वस्तु बना दिया है। उसका उत्पादन अब कई मध्य पूर्वी देशों में किया जाता है।

पिछले साल बायोमेडिसीन्स पत्रिका के अंक में प्रकाशित एक समीक्षा में कहा गया, “दर्जनों बिच्छुओं से निकाले गए बायोएक्टिव अणुओं ने आशाजनक इलाज होने का गुण दिखाया है।” इसमें बताया गया कि जापान में अब उसकी बीमार बीमारीाणुरोधी, इम्मुनोसुप्प्रेसिव और कैंसर रोधी प्रभावों पर रिसर्च किया जा रहा है, उम्मीद है कि एक दिन दवाओं के लिए इस्तेमाल या उनका मिलावट किया जा सकेगा।

अबू अल स और मिस्र की राजधानी काहिरा के लगभग 800 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम के निवासी हैं। अपने घर के आसपास बालू के टीले और ऊंचे ताड़ को अबू अल सोन प्यार से ‘बिच्छू का साम्राज्य’ कहते हैं। उनका कहना है कि यहां हर परिवार में बिच्छू के डंक की कहानी है। जानवरों से जहर निकलवाने के लिए रिलायंस के खास माहौल में बिच्छुओं को हल्का बिजली का झटका दिया जाता है।

सर्वोच्च गुणवत्ता का जहर हासिल करने के लिए अर्क के बीच कार्यकर्ता 20-30 दिन का इंतजार करते हैं। अल सोनिया बताते हैं, “शुद्धता का लेवल मायने रखता है और एक ग्राम जहर के लिए 3000-3500 बिच्छुओं की पड़ सकती है।” तरल पदार्थ को रेफ्रिजेरेटेड किया जाता है और काहिरा भेजा जाता है, जहां उसे सूखाया जाता है और पाउडर के तौर पर पैक किया जाता है।

केंद्र में दवा बनाने का काम करनेवाले 25 वर्षीय नाहला अब्दुल हमीद ने कहा कि तंबाकू सरकार से मान्यता प्राप्त है और उसकी इस अनोखी तकनीक को एक्स करने की क्षमता है। उन्होंने कुछ वैज्ञानिक शोध का जिक्र किया जिसमें विशेष बीमारियों का इलाज करने में जहर के प्रभाव का पता चला। दवा उद्योग संघ के एक सदस्य मोहे हफेज ने उसके वर्तमान इस्तेमाल के बारे में अपने मूल्यांकन में ज्यादा सावधानी बरती।

एक ग्राम जहर की कीमत होती है 7,500

उन्होंने कहा कि बिच्छू और सांप के जहर का इस्तेमाल किए गए पौधे ‘एंटीसेरा’ बनाने में किया जाता है। बना बनाया कोई इलाज नहीं है जिसकी निर्भरता प्रत्यक्ष सामग्री के तौर पर जहर से जुड़ी हो, लेकिन उसके इस्तेमाल पर आशाजनक अनुसंधान हो रहे हैं। दावा है कि न्यू वैली प्रांत में अत्यधिक मांग वाला डेथ कोतकर सहित बिच्छुओं की लगभग पांच अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं। अबू अल सोनिया के मुताबिक, इसका वैज्ञानिक नाम लेउरस क्विनकेस्ट्रीएटस और दुनिया का सबसे जहरीला बिच्छू है। उसके जहर की कीमत प्रति ग्राम 7,500 डॉलर तक होती है।

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