Home » राजद्रोह के लिए लगने वाली IPC की धारा 124A की वैधता जांचेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को जारी किया नोटिस
UP Lockdown: यूपी के 5 शहरों में नहीं लगेगा लॉकडाउन, सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले पर लगाई रोक

राजद्रोह के लिए लगने वाली IPC की धारा 124A की वैधता जांचेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को जारी किया नोटिस

by Sneha Shukla

राजद्रोह के मामले में लगने वाली आईपीसी की धारा 124 ए की वैधता पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र कलाखेमचा और छत्तीसगढ़ के पत्रकार कन्हैयालाल शुक्ला की याचिका पर आज कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

दोनों का कहना था कि उन पर अपने राज्य की सरकार और केंद्र सरकार की आलोचना के लिए राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। ब्रिटिश काल के इस कानून को बनाए रखना गलत है। यह संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक को हासिल अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन करता है।

सरकारों के कानून का दुरुपयोग राजनीतिक रूप से लोगों के खिलाफ करने का आरोप है

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू-ललित, इंदिरा बनर्जी और के एम जोसफ ने थोड़ी देर की बहस के बाद याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि सभी सरकारें इस कानून का दुरुपयोग राजनीतिक रूप से नापसंद लोगों के खिलाफ कर रही हैं। गोंजाल्विस ने कहा कि 1962 के केदारनाथ सिंह / बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को वैध ठहराया था। लेकिन तब और अब की स्थिति में बहुत अंतर है।

वकील ने कहा कि 1962 के फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के दुरुपयोग की बात स्वीकार की थी। लेकिन कानून को बनाए रखने का आदेश दिया गया था। अब उस फैसले पर दोबारा विचार की जरूरत है। आज अगर किसी के कुछ कहने या लिखने से वास्तव में अशांति या हिंसक विद्रोह फैलने की आशंका हो तो उसके खिलाफ सार्वजनिक सेफ्टी एक्ट या नेशनल सिक्युरिटी एक्ट लगाया जा सकता है।

मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को

अपराध अधिक गंभीर होने पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधि प्रतिबंध अधिनियम) भी लागू किया जा सकता है। आज के समय में आईपीसी की धारा 124 ए की मौजूदगी सिर्फ नागरिकों के दमन का साधन है। सरकार और पुलिस तंत्र इसे जिन मामलों में लगाते हैं, उनमें से ज़्यादातर में आरोपी बरी हो जाते हैं। इसके तहत मुकदमा सिर्फ सत्ताधारी पार्टी से अलग सोच रखने वालों को परेशान करने के लिए होता है।

दोनों पत्रकारों के वकील की बातों को सुनने के बाद जजों ने मामले में नोटिस जारी कर दिया। कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया है कि एटॉर्नी जनरल को भी नोटिस दिया जाए ताकि वह इस मसले पर कोर्ट की सहायता कर सके। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।

इसी वर्ष 9 फरवरी को आईपीसी की धारा 124 ए के खिलाफ एक याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। यह याचिका तीन वकीलों आदित्य रंजन, वरुण ठाकुर और वीरेनचेरियन की थी। कोर्ट ने उनकी याचिका को इस आधार पर सुनवाई से मना कर दिया था कि उनमें से कोई भी व्यक्ति मामले में प्रभावित नहीं है। अब 2 ऐसे याचिकाकर्ता सामने आए हैं, जो इस कानून से प्रभावित हैं। ऐसे में कोर्ट ने याचिका का परीक्षण किया है।

यह भी पढ़ें

सोशल मीडिया के लिए वरदान बन गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment