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राज की बातः बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस का ये फॉर्मूला क्या हो पाएगा कारगर?

राज की बातः बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस का ये फॉर्मूला क्या हो पाएगा कारगर?

by Sneha Shukla

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राज की बात: बीजेपी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया। पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने कांग्रेस को पूरे देश में सिकोड़ कर रखा। सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को सबसे बुरे दौर में पहुंचा दिया गया। देश ही नहीं प्रदेशों से भी कांग्रेस लगातार कभी चुनाव तो कभी सियासी प्रबंधन की वजह से राष्ट्रस्त हो रही है। इसलिए, पूरे देश में एक दलीय व्यवस्था का स्वाद चखने वाली कांग्रेस अब किसी भी क़ीमत में बीजेपी का क़िला दरकाने में शुरू हो गया है। इसके लिए उसके सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है बीजेपी को हर जगह हराना, चाहे उसमें कांग्रेस को खुद कितना भी नुक़सान दिख रहा हो।

राज की बात में आपको बताते हैं कि ‘हम तो डूबेंगे, सनम साथ आपको भी ले डूबेंगे’ वाले इस योजना की। कांग्रेस का मानना ​​है कि तात्कालिक नुक़सान ज़रूर उसे होगा, लेकिन रणनीति का लिहाज़ से किसी भी तरह से बीजेपी की हार सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए जहां वह बीजेपी के वोटबैंक को कमजोर कर सकती है, वहां वह करने की कोशिश में है। इसके लिए वह जहाँ पर मज़बूत था, वहाँ भी सहयोगियों के सामने झुकने को तैयार है, इसलिए बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी तगड़ी हो। साथ ही मुद्दों में भी वह बीजेपी के समांतर ही चलने के लिए केसरिया पार्टी की चाल चलने से भी गुरेज़ नहीं कर रहा है।

‘बीजेपी को मात देने वाली चाल चलें’

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व किसी भी क़ीमत में ममता की हार चाहता है। कांग्रेस के प्रदेश के नेता मानते हैं कि ममता के राज में कांग्रेस का उद्भव असंभव है। बीजेपी से भी उनकी रार बहुत है, लेकिन ममता का मज़बूत होना कांग्रेस के अस्तित्व के लिए ख़तरनाक है। इसीलिए राज्य में कांग्रेस किसी भी क़ीमत में ममता को हराने वाली रणनीति पर चल रही थी। मगर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश नेताओं की इस रणनीति को खेजिज कर हर हाल में बीजेपी को हराने वाली रणनीति पर चलने को कहा है।

इतना ही नहीं, बग़ल के राज्य असम में कांग्रेस ने किसी भी तरह जीत हासिल करने के लिए बदरुद्दीन अजमल तक की पार्टी से समझौता किया है। मगर मुद्दा असम में गो तस्करी को बनाया जा रहा है। ये स्थापित करने की कोशिश की जा रही है कि असम में सर्वानंद सोनोवाल सरकार में बांग्लादेश के लिए गोतस्करी बढ़ गई है। बांग्लादेश सीमा से जुड़े दोनों ही राज्यों में इस तरह से एक में जीत के लिए तो दूसरे में बीजेपी को नुक़सान पहुंचाने के लिए ये रणनीति कांग्रेस ने अपनाई है।

पुदुचेरी में डीएमके के साथ समझौता

राज की बात तो ये भी है कि जिस पुडुचेरी में कांग्रेस मुख्य पार्टी होती थी, वहां भी बीजेपी की संभावनाएं प्रवाल देखते हुए बड़े दांव खेला जाता है। पुदुचेरी में कुल 33 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से तीन विधायक केंद्र नामित है। यहां पर जो कांग्रेस गठबंधन में हमेशा 20 के क़रीब लड़ाई लड़ती थी, उसमें वह डीएमके को लगभग अपने बराबर आईआई है। समझौते में आमतौर पर कांग्रेस टीएम में कम सीटों पर लड़ती थी और डीएमके को ज्यादा होता था, पुडुचेरी में कांग्रेस के पास ज्यादा सीटें होती थीं।

अभी स्थिति और पलटी है। TN में तो डीएमके ज्यादा सीटों पर लड़ ही रही है, बल्कि पुदुचेरी में भी डीएमके को 13 सीटें दी हैं और खुद सिर्फ दो ज्यादा यानी 15 सीटों पर लड़ रही है। ये बड़ा ख़तरा है। क्योंकि स्ट्राइक रेट ज्यादा डीएमके का हुआ तो यहां भी कांग्रेस छोटे भाई की भूमिका में आ जाएगी।

मतलब ये समझें कि कांग्रेस की प्राथमिकता फ़िलहाल जीत से ज्यादा बीजेपी का खेल बिगाड़ना है। किसी भी जीत से बीजेपी को दूर रखने में ही कांग्रेस अपनी विजय देख रही है। उनका मानना ​​है कि मोदी-शाह की जोड़ी को रोके बग़ैर कांग्रेस का भविष्य नहीं हो सकता है, इसलिए खुद को कमतर करके भी बीजेपी की लाइन छोटी होती है तो कांग्रेस को गुरेज़ नहीं।

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