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राज की बात | कंटेनर इंडस्ट्रीः रोजगार को मिलेगा बल, विदेशी आयात में भी होगी कमी

राज की बात | कंटेनर इंडस्ट्रीः रोजगार को मिलेगा बल, विदेशी आयात में भी होगी कमी

by Sneha Shukla

नई दिल्ली: देश को आर्थिक तरक्की की राह और अप पर ले जाने के लिए सरकार की तरफ से नित नई कोशिशें जारी हैं। कोशिश है कि देश में निवेश बढ़े, विकास मेक इन इंडिया वाला हो जिससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो और बेरोजगारी का ग्राफ भी गिरे। आज राज की बात में हम तरक्की को प्रोत्साहित देने वाली एक ऐसी ही राज की बात आपको बताने जा रहे हैं जिससे देश में एक नई इंडस्ट्री खड़ी हो रही है। ये वो राज की बात है जिसे जानने के बाद रोजगार को लेकर चिंतित वर्ग थोड़ा राहत की सांस ले पायागा।

अलग अलग सेक्टर्स मे होने वाले उत्पादन के बाद उसे देसी और विदेशी ग्राहकों तक पहुंचाने में जुड़ने की भूमिका बहुत होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि ये भारत में लाने का खर्च कितना ज्यादा है और इसी के साथ कीडे के बीच से न्यू इंडस्ट्री की। संभावनाओं का सिरा खुलने जा रहा है।

दरअसल, जितनी मात्रा में हर साल भारत को अच्छी क्वालिटी के स्टीलिटर्स की आवश्यकता है, उसका एक बड़ा हिस्सा हमें चीन से आयात करना पड़ता है। एक कंटेनर की कीमत लगभग साढ़े 3 लाख की होती है और भारत में लगभग साढ़े 3 लाख से 4 लाख बुटीकर्स को हर साल शुरू किया जाता है। मतलब आप समझ सकते हैं कि कितनी बड़ी संख्या में ज्वैलर्स का पुनरारंभ भारत में हो रहा है और बहुत बड़ी राशि फोटोग्राफर्स के पुनरारंभ में लग रहा है। बस इसी आवश्यकता में केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का अवसर बनाने की भूमिका बना दी है।

राज की बात ये है कि गुजरात के भावनगर में कंटेनर उद्योग को विस्तार देने के लिए काम शुरू हो गया है। रोलिंग सेक्टर के उपक्रम से बातचीत कर देश में कंटेनर उद्योग खड़ी करने की दिशा में मज़बूती से कदम बढ़ा दिया गया है। एक नई इंडस्ट्री खड़ी करने के साथ-साथ स्टील निर्माता कंपनियों के लिए भी ख़ासा काम बढ़ने जा रहा है। मतलब उन्हें भी ताकत मिलेगी। ख़ास बात है कि आम बजट में जो पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार का काम व्यापार करें नहीं, बल्कि व्यापारी की संभावनाओं को बल देना है, उस दिशा में कदम बढ़ा दिया गया है। सरकार यहाँ खुद कुछ नहीं बनाएगी, बल्कि निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, जिससे व्यापार और रोज़गार दोनों को ताकत मिलेगी।

रेलवे कंटेनर कोर्प लिमिटेड, कंटेनर को भारत के कंटेनर और कंटेनर का निर्माण करने वाली कंपनियों से सरकार ने बातचीत कर ली है। इसके साथ ही साथ साथ देश की स्टील कंपनियों को भी बूस्ट मिलेगा। दरअसल कंटेनर निर्माण के लिए अच्छे स्टील की जरूरत होगी। मतलब ये कि भारत में कंटेनर निर्माण को बढ़ावा मिलने से देश में बनने वाली स्टील की मांग बढ़ेगी। इसका मतलब ये हुआ का कंटेनर उद्योग के साथ ही साथ इस्पात उद्योग की हालत भी मजबूत होगी।

कंटेनर उद्योग को देश में खड़ा करने के इस प्लान की सबसे बड़ी बात ये है कि सरकार को कोई खर्च भी नहीं करना पड़ेगा और देश में 1 लाख करोड़ की इंडस्ट्री खड़ी हो जाएगी और लगभग 1 लाख रोजगार के अवसर भी सामने आ जाएंगे। सरकार के सहयोग से ही देश को एक नई उद्योग मिल जाएगी और इस्पात उद्योग को भी बुलंदी मिल जाएगी।

तो प्लान जमीन पर उतरना शुरु हो गया है और इस परिणाम में बहुआयामी हैं। पहला ये की आयात में कमी आयागी और चीन को एक और आर्थिक झटका लगेगा। दूसरा ये कि निजी निवेश में वृद्धि होगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा और तीसरा ये कि देश में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन हो पाएगा। और ये काम उस दौर में शुरू हो रहा है, जिस दौर में इनलैंड वाटरव्स पर भी तेजी से काम चल रहा है।

मतलब साफ है कि अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के दौर में पहलुओं की जरूरत बढ़ेगी और इसका सीधा फायदा भी देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा। मतलब ये किशीलेर्स के निर्माण के देशी प्लान से पूरी अर्थव्यवस्था का फायदा मिलने वाला है।

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