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बंगाल के साथ पूर्वोत्तर में सियासत की एक कड़ी और बड़ी जंग लड़ी जा रही है। जितने पेचीदा चुनाव बंगाल का है उससे कम पेचीदगियां असम विधानसभा चुनाव में नहीं हैं। मुकाबला यहां पर भी कड़ा है और धार्मिक ध्रुवीकरण की धुरी पर बाजी बंगाल जैसी दिलचस्प हो गई है। लेकिन असम विधानसभा चुनाव में जिस तरह से रूट लेवल तक अपनी सियासत को साधने के लिए कांग्रेस ने चाय बगान तक फोकस किया है ….. ठीक इसी तर्ज पर बीजेपी भी बुनियादी स्तर पर कटौती के लिए तैयार है।
दिल्ली की सीमाओं पर मोर्चा खोलने वाले तमाम नेताओं में से एक नेता हैं- डॉ। पारस पाल। किसानों की बीच मसीहा की छवि बनाने के लिए हर प्लेटफॉर्म पर आढ़तियों को अन्नदाताओं का दुश्मन बताते आए हैं और उनपर लगाम लगाने की मांग से भी कभी पीछे नहीं हटे …. लेकिन जब कृषि कानूनों के जरिए किसानों तक सीधा फायदा पहुंचाने की बात केंद्र सरकार ने की तो दर्शन साहब के मन में दबा आढ़तियों के लिए प्रेम खुल कर कर सामने आ गया। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल आढ़तियों के हित में अज़ान लगी।
सूरत के निकाय चुनाव में सफलता के बाद आम आदमी पार्टी की जगी हुई महत्वाकांक्षा इस बार पंजाब ही नहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी गुल खिलाने की तैयारी कर रही है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के फ़ार्मूले पर उत्तर प्रदेश में सेंधमारों की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी को उसकी ही रणनीति से चुनौती के लिए भी बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
हिंदुस्तान दुनिया के तमाम देशों के लिए वैक्सीन भेज कर कोरोना संक्रमण को सशक्त करने में विश्व की मदद कर रहा है। उसी हिंदुस्तान में वैक्सीन की डोज बर्बाद हो रही है। राज की बात ये है कि कोरोना से लड़ाई के मामले में केंद्र सरकार की सबसे बड़ी चिंता और चुनौती वैक्सीन की बर्बादी को रोकने की आस्था है। देश भर के राज्यों में जो वैक्सीन भेजी गई उसकी लगभग साढ़े 6 प्रति डोज़ बर्बाद हो गई है।
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