हिंदी सिनेमा की मशहूर अदाकारा आशा पारेख (आशा पारेख) ने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी। लीड एक्ट्रेस से अक्सर उन्होंने 1959 में फिल्म ‘दिल देके देखों’ से कदम रखा। फिल्म के डायरेक्टर थे नासिर हुसैन, हालांकि शुरुआत में नासिर और आशा के बीच कुछ जमती नहीं थी, लेकिन फिल्म की शूटिंग पूरी होते-होते दोनों के अच्छे दोस्त बन गए। धीरे-धीरे नासिर हुसैन और आशा पारेख की दोस्ती प्यार में बदल गई। इसके बाद नासिर हुसैन की हर फिल्म में आशा पारेख ही हरीन बनने लगी, जिनमें ‘तीसरी मंज़िल’, ‘बहारों के सपने’, ‘प्यार का मौसम’, ‘फिर वही दिल लाया हूं’ जैसी कई फिल्में शामिल हैं।
नासिर हुसैन पहले से शादीशुदा थे और ये बात आशा पारेख अच्छी तरह जानती थी, लेकिन आशा, नासिर से बेहद मोहब्बत करती थीं। बैक-ऑफ़-वाइव नासिर का घर भी खराब होने वाला निष्क्रिय लेंस। हालांकि, आशा के दोस्तों और परिवार के लोगों ने उन्हें बहुत निर्दिष्ट किया है कि इस संबंध को खत्म कर दें लेकिन आशा दिल के हाथों का अनुपालन था। उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी और अपनी पूरी जिंदगी नासिर हुसैन की मोहब्बत और याद में गुजार दी।
आपको बता दें कि नासिर हुसैन बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान (आमिर खान) के चाचा थे। उन्होंने आमिर के साथ दो फिल्मों में काम किया और वे दोनों ही आमिर के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुईं। वे फिल्में ‘कय़ामत से कयमत तक’ और ‘जो जीता वही सिकंदर’ थीं।
यह भी पढ़ें:
लंदन में एक सरफिरे आशिक से कुछ इस तरह ज़ीनत अमान ने छुड़ाया था अपना पीछा, जानें किस्सा
।
Homepage | Click Hear |