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लापरवाही: केंद्र ने कहा, तीन राज्यों के सबसे प्रभावित 50 जिलों में नियमों का नहीं हो रहा पालन

by Sneha Shukla

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केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई टीमों ने रिपोर्ट दी है कि महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ के संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 50 जिलों में विभाजित -19 नियमों का पालन नहीं हो रहा है। इन जिलों में कोरोना के खिलाफ अभियानों को अंजाम देने के लिए न तो पर्याप्त संख्या बल है और न ही पर्याप्त जांच हो रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीमों की रिपोर्ट के आधार पर इन तीनों राज्यों को पत्र लिखकर गिना है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने तीनों राज्यों में कोरोना जांच, टाइपों के संपर्क में आए लोगों की पहचान, अविष्कार जोन अभियान, स्वास्थ्य सेवा कार्यबल, अस्पतालों के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता को लेकर सवाल उठाया है।

50 सबसे आंतरिक जिलों में 30 तो महाराष्ट्र के ही हैं, जबकि 11 छत्तीसगढ़ और 9 पंजाब के हैं। स्वास्थ्य सचिव ने यह भी कहा कि केंद्र ने टीके की उपलब्धता को भी संज्ञान में लिया है और मौजूदा भंडार के आधार पर तेजी से जरूरी आपूर्ति की जा रही है।

केंद्रीय टीमों ने अपनी रिपोर्ट में पटियाला और हिंदी जैसे जिलों में संवेदनशीलों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने और निगरानी के उपायों पर ध्यान दिया है।]टीम ने कहा है कि रूपनगर में कोरोना कर्मियों की कमी से व्यवस्था प्रभावित हो रही है। पटिलाया में जांच कम है और रूपनगर में कोई आरटी-पीसीआर टेस्टिंग रिलायंस भी नहीं है।

इसके अलावा रूपनगर और साहिबजादा अजीत सिंह नगर में कोरोना मरीजों के लिए समर्पित कोई अस्पताल भी नहीं है। ऐसे में मरीजों को चंडीगढ़ भेजा जा रहा है। इसके साथ ही टीम ने पटियाला और हिंदी में 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को टीकाकरण की रफ्तार धीमी होने की बात भी कही।]

स्वास्थ्य सचिव ने कहा, महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में 30 केंद्रीय टीमें लगाई गई हैं। टीमों की रिपोर्ट में कोरोनावायरस संबंधी नियमों के पालन में गड़बड़ी, ऑक्सीजन और वेटिनेटर की कमी के साथ ही निगरानी और पहचान की पहचान करने जैसी कमियां सामने आई हैं। सतारा, साक्षरता और andrang में बहुत कम उपलब्धि अभियान चला गया है, जो निर्णय नहीं हैं। बुलढाणा, सतारा, औरंगा और नांदेड़ में भी यही हालत है। बुलढाणा में ज्यादातर केसबंदीमेंट जोन के बाहर से आ रहे हैं, ऐसे में इस जोन का चार्टररा बढ़ाए जाने की जरूरत है।

वहीं, सतारा, भंडारा, पालघर, अमरावती, जालना और लातूर जिले में जांच क्षमता पर भारी दबाव है। रिपोर्ट आने में देरी हो रही है, जिससे 72 घंटे के अंदर इलाज के अभाव में ज्यादा मौतें हो रही हैं। सतारा इस मामले में सबसे आगे है। नांदेड़ और बुलढाणा में आरटी-पीसीआर टेस्ट बहुत कम हो रहे हैं। बुलढाणा में जांच को लेकर आम लोगों का विरोध भी देखने को मिला है। ज्यादातर मरीज घर पर ही आइसोलेशन में हैं, जिनकी निगरानी की जरूरत है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो रहा है।

अहमदनगर, andanga, नागपुर और नंदूरबार में ऑक्सीजन और वेंटिलेटरों सहित चिकित्सा उपकरणों की बहुत अधिक मांग है। अस्पतालों में बिस्तर भरे पड़े हैं। अहमदनगर जिले के मरीजों को पास के अस्पतालों में भेजा जा रहा है। भंडारा, पालघर, उस्मानाबाद और पुणे में चिकित्सा आपूर्ति की समस्या है। सतारा और लातूर जैसे जिलों में वेंटिलेटर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के जिलों में तैनात केंद्रीय टीमों ने रायपुर और जशपुर में मनोरंजन जोन में खामियां बताई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, संशोधन करने वाले क्षेत्र में लोगों की आवाज़जही पर कोई रोक नहीं है। सूक्ष्म स्तर पर वक्रिंग के साथ सशक्तीकरण क्षेत्र बनाए जाओ। कोरबा जिले में संपर्क में आए लोगों की पहचान पर बल दिए जाने की आवश्यकता है। संरक्षण जोन में गतिविधियों और कोरोना जांच को लेकर लोगों के विरोध को रोका जाना चाहिए। कोरबा, दुर्ग और बालोद जिले में आरटी-पीसीआर जांच सुविधा की कमी है।

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केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई टीमों ने रिपोर्ट दी है कि महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ के संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 50 जिलों में विभाजित -19 नियमों का पालन नहीं हो रहा है। इन जिलों में कोरोना के खिलाफ अभियानों को अंजाम देने के लिए न तो पर्याप्त संख्या बल है और न ही पर्याप्त जांच हो रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीमों की रिपोर्ट के आधार पर इन तीनों राज्यों को पत्र लिखकर गिना है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने तीनों राज्यों में कोरोना जांच, टाइपों के संपर्क में आए लोगों की पहचान, अविष्कार जोन अभियान, स्वास्थ्य सेवा कार्यबल, अस्पतालों के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता को लेकर सवाल उठाया है।

50 सबसे आंतरिक जिलों में 30 तो महाराष्ट्र के ही हैं, जबकि 11 छत्तीसगढ़ और 9 पंजाब के हैं। स्वास्थ्य सचिव ने यह भी कहा कि केंद्र ने टीके की उपलब्धता को भी संज्ञान में लिया है और मौजूदा भंडार के आधार पर तेजी से जरूरी आपूर्ति की जा रही है।


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