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वामन-गुरू फेम बॉलीवुड के जाने-माने एडिटर वामन भोसले का मुम्बई में निधन

वामन-गुरू फेम बॉलीवुड के जाने-माने एडिटर वामन भोसले का मुम्बई में निधन

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> मुम्बई: 60 से लेकर 90 के दशक तक कई बड़ी हिंदी फिल्मों की एडिटिंग करनेवाले वामन-गुरू फेम वामन भोसले का आज & nbsp; टर्मबी बीमारी के बाद मुम्बई में गोरेगांव में अपने घर में तड़के 4.00 बजे के करीब; निंदा हो गई। वे 89 वर्ष के थे। & nbsp;

जाने-माने फिल्म निर्माता सुभाष घई ने वामन भोसले की मौत की पुष्टि करते हुए एबीपी न्यूज के साथ इस जानकारी को साझा किया। & nbsp;

संपर्क किए जाने पर वामन भोसले के भतीजे दिनेश भोसले ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा, "वे पिछले एक साल से काफी बीमार चल रहे थे। उनसे पहले से ही डायबिटीज की गंभीर समस्या थी लेकिन पिछले एक साल में उनकी मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं इस कदर बढ़ गई थीं कि वे लोगों को पहचान तक नहीं पा रहे थे। वे चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गए थे। पिछले 4-5 दिनों से उन्होंने खाना पीना भी छोड़ दिया था। उनका अंतिम संस्कार दोपहर में गोरेगांव में किया जाएगा।"

वामन भोसले ने अपने पार्टनर गुरू शिराली के साथ मिलकर ‘मेरा गांव मेरा देस’, ‘दो रास्ता’, ‘इनकार’, ‘दोस्ताना’, ‘परिचय’, ‘गुलाम’, ‘विरासत’, ‘मौसम’, ‘अग्निपथ’ को एक साथ लिया। , ‘रूप की रानी थोंस का राजा जैसी तमाम बड़ी और चर्चित फिल्मों की एडिटिंग की थी। वामन-गुरू को 1977 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘इनकार’ के लिए सर्वश्रेष्ठ एडिटर के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

वामन भोसले ने सुभाष घई की ‘कालीचरण’, ‘हूर’, ‘कर्ज’, ‘राम लाल’, ‘त्रिमूर्ति’ और ‘खलनायक’ जैसी तमाम फिल्मों की भी एडिटिंग की थी और एक एडिटर की तौर पर वामन-गुरू की जोड़ी थी। सुभाष घई की चहेती जोड़ी थी।

सुभाष घई ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा, "वामन भोसले बेहद हुनरमंद एडिटर थे और साथ ही वे बहुत ही अच्छे इंसान और बहुत मिलनार भी थे। वामन की खासियत ये थी कि उन्होंने कई लोगों को एडिटिंग सिखाई थी जो आगे चलकर काफी शोहरत कमा रहे थे। मैंने भी एडिटिंग की कला उन्हीं से सीखी थी। वह हमेशा मेरे ज्ञापन में रहेंगे।"

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