कलक। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि को विभाजित -19 टीकाकरण की स्वतंत्रता और त्वरित चरण 3 रणनीति अत्यधिक भेदभावपूर्ण और जनविरोधी है। वैक्सीन निर्माण इकाई द्वारा राज्य सरकारों, निजी सुविधाओं और केंद्र सरकार के लिए अलग-अलग मूल्य तय किए जाने के बाद मुख्यमंत्री का यह मुखर रुख सामने आया है।
मुख्यमंत्री ने केंद्र और राज्य को दी जाने वाली वैक्सीन की एकरूपता नहीं होने पर सवाल दागते हुए लिखा है कि राज्य सरकार के लिए आखिर वैक्सीन की कारों को अलग-अलग क्यों निर्धारित की गई हैं? भारत सरकार को वैक्सीन प्रड्यूसर से प्रति खुराक 150 रुपये की दर से वैक्सीन मिलेगी, जबकि आपने हमारे लिए यानी राज्यों के लिए प्रति खुराक 400 रुपये की कीमत निर्धारित की है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यों को 167 प्रतिशत अतिरिक्त भंडार देनी होगा, जो कि संघीय और गरीब विरोधी है। राज्य गरीबों और युवाओं के लिए टीके खरीदेंगे, इसलिए आपकी नीतिगत और युवा विरोधी दोनों हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की इस दर्रा या रेट में भिन्नता इतिहास में भी कभी नहीं देखी गई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में इससे पहले भी देश के किसी भी राज्य में इस प्रकार से उच्च दरों पर किसी भी बड़े टीकाकरण अभियान में वैक्सीन खरीदने के लिए नहीं कहा गया है।
ममता ने यह भी लिखा, निजी अस्पतालों के लिए प्रति खुराक 600 रुपये की दर से फिक्सिंग न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह अस्वास्थ्यकर भी है, क्योंकि इससे बाजार में अनैतिक तंत्र को बढ़ावा मिलने की संभावना है। उन्होंने चेतावनी दी है कि स्थिति गंभीर है और यह व्यवसाय करने का समय नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें दृढ़ता से लगता है कि हर भारतीय को एक फ्रीेक मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी कीमत पर हो। ममता ने कहा कि हर किसी को वैक्सीन मुफ्त मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, पंथ या स्थान से संबंध रखता हो और इसका भुगतान चाहे केंद्र करे या राज्य, लेकिन उन्हें वैक्सीन मिलनी ही चाहिए।
कोविशिल्ड वैक्सीन की कीमत क्या है?
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया तब सामने आई है, जब सेरामल ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने बुधवार को कहा है कि उसकी कोविशिल्ड वैक्सीन राज्य सरकारों को प्रति खुराक 400 रुपये और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में बेचनी पड़ेगी। इसके बाद ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखने का फैसला किया। एसआईआई का यह बयान उस समय सामने आया, जब केंद्र ने 1 मई से 18 वर्ष की आयु से ऊपर के सभी व्यक्तियों के टीकाकरण की अनुमति दी है। इस निर्णय की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की फार्मा कंपनियों, डॉक्टरों, काउंटर चिकित्सकों के साथ बैठक के बाद घोषणा की गई थी।
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