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मुंबई: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की अहमदाबाद में गुप्त मुलाकात की खबरों पर सियासत जारी है। शिवसेना ने एक बार फिर सामना पत्र के अपने संपादकीय में अमित शाह और शरद पवार की मुलाकात पर खबरों को अफवाह बताते हुए बीजेपी पर तंज कसा है। सामना में कहा गया है कि बीजेपी अपनी गलती और निराशा के कारण सकपकाई हुई है, बीजेपी भी अपनी गुप्त बीमारी से जल्दी ठीक हो जाएगी।
सामना में लिखा गया है कि शरद पवार और अमित शाह के बीच गुप्त बातचीत की अफवाह से दो-चार दिन की चर्चा तो होगी ही। पवार शुक्रवार की रात विशेष हवाई जहाज से अहमदाबाद गए। उनके साथ प्रफुल्ल पटेल भी थे। वे एक बड़े उद्योगपति के घर ठहरे थे। ये बड़े उद्योगपति कौन हैं, इसका भी खुलासा हो चुका है। उसी रात अमित शाह अमदाबाद पहुंचे और शाह-पवार की देशभर में चर्चित गुप्त आदेश हुए। इस गुप्त मुलाकात में कुछ गुप्त मंत्र भी हुए। इस गुप्त बैठक का संबंध राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार से जोड़ा जा रहा है। अहमदाबाद में मुलाकात हुई है, तो दो नेताओं के बीच राज्य की सरकार के संदर्भ में कुछ निश्चित तय हुआ होगा और ठाकरे सरकार दो दिनों में ही गिर जाएगी, ऐसा दावा कुछ लोगों ने भी किया था। हकीकत यह है कि इस प्रकार की किसी भी मुलाकात और गुप्त मंत्रणा से पवार की ओर से स्वच्छ इंकार कर दिया गया है।
शिवसेना ने कई सवाल उठाए
आगे कहा गया कि देश के जो गृह मंत्री होंगे, वे उस समय अमय में होंगे। वे और बचाव पवार जैसे नेता मानो एक-दूसरे से मिले भी हों तो गलत क्या है? लेकिन इसके लिए रात के अंधेरे में लाइव तरीके से कोई क्यों मिलेगा? जिस उद्योगपति के घर में यह मुलाकात हुई, जैसा कि कहा जा रहा है, उसके गुप्त घर दिल्ली-मुंबई में भी हैं और यह गुप्त मुलाकात अमदाबाद की बजाय मुंबई-दिल्ली में अधिक आसानी से नहीं हो सकती थी? पंवार-शाह की मुलाकात नहीं हुई। वो मुलाकात जो हुई ही नहीं उसके बारे में खुद अमित शाह ने अमिवाड़ में पतंग उड़ाई। पत्रकारों ने जब उनसे इस मुलाकात के बारे में पूछा, तो शाह ने कहा, ‘इस तरह की चीजों को सार्वजनिक नहीं किया जाता।’
“वकीलों को अधिकार मिल जाएगा, इस भ्रम से निकलना होगा”
शिवसेना ने संपादकीय के जरिए कहा, ‘विरोधी दल सत्ता के लिए उतावला होकर किस प्रकार से बिलबिला रहा है, यह साफ नजर आ रहा है। मूलत: राजनीति में अब कुछ गुप्त नहीं रह गया है। ये जो रहस्य होता है ये सबसे पहला सामूहिक हो जाता है। शाह-पवार की बैठक गुप्त थी तो फिर यह खबर लीक कैसे हुई? ऐसी गुप्त बैठक तो शाह और कोटाव ठाकरे के बीच ही हुई थी। उस गुप्त बैठक में जो तय हुआ उसके अनुसार कार्य न होने से बीजेपी को विरोधी दल में बैठना पड़ा। जिस प्रकार महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार मजबूत है, उसी प्रकार बीजेपी का विरोधी दल की बेंच का स्थान भी मजबूत है। इसलिए किसी की गुप्त बैठक या मंत्रणा के कारण ठाकरे सरकार में सेंध लगेगी और विरोधी बेंच से सत्ताधारी बेंच पर जा सकेगा, विरोधियों को इस भ्रम से निकलना होगा। ‘
शरद पवार के समर्थन में आगे कहा गया कि जब राज्य में फडणवीस का राज था तब साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके सत्ता पैरों में रखने की बात की जा रही थी। यह साम-दाम-दंड-भेद और ands के भी हाथों में हो सकता है। अहमदाबाद की गुप्त बैठक की अफवाह फैलकर हलचल मचाना समान भेद-नीति का हिस्सा है। हालांकि, यह क्या होगा? बीजेपी का चिपक है कि शरद पवार के विश्वास पर आघात द्वारा महाराष्ट्र की सरकार को कमजोर किया जाना चाहिए। पवार की अगुवाई में ही महाराष्ट्र में बीजेपी के मुंह के सामने से निवाला झटक लिया गया। महाराष्ट्र के बाहर के कई राज्यों में शरद पवार बीजेपी विरोधी गठबंधन को ताकत दे रहे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी के अधीन और राज्यपाल की विशेष सहायता के बावजूद महाराष्ट्र सरकार हिलने को तैयार नहीं है। इससे विरोधियों को निराशा छाने लगी है।
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