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श्री जगन्नाथ धाम यात्रा करने वालों के घर में ही रखा जाता है यह पावन व्रत 

by Sneha Shukla

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चैत्र मास के सभी सोमवार को तिसुआ सोमवार का व्रत और पूजन किया जाता है। यह व्रत उन्हीं लोगों के घरों में होता है जिनके घर का कोई भी सदस्य श्री जगन्नाथ धाम की यात्रा कर आ गया हो। इस व्रत में टेसू के पुष्प से पूजा करने का विधान है। इसलिए इस व्रत को तिसुआ सोमवार व्रत कहते हैं।

चैत्र मास में आने वाले सोमवार को तिसुआ सोमवार कहा जाता है। ये सोमवार को भगवान श्री जगन्नाथ की उपासना की जाती है। पहले सोमवार को गुड़ से, दूसरे सोमवार को गुड़ और धनिया से, तीसरे सोमवार को पंचामृत से और चौथे सोमवार को कच्छचा पक्का, हर तरह का नास बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। इसकी पश्चात पूजा की जाती है। माना जाता है कि ये चारों सोमवार को श्रद्धा के साथ व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि सुदामा ने सबसे पहले भगवान श्री जगन्नाथ का पूजन किया था। पूजन के लिए सुदामाजी जगन्नाथ धाम गए। रास्ता में कई पीड़ितों को आश्वासन दिया कि भगवान श्री जगन्नाथ के दरबार में उनकी खुशी के लिए मन्नत की मांग करेंगे। बताया जाता है कि सुदामा की श्रद्धा देखकर भगवान जगन्नाथपुरी के बाहर एक ब्राह्मण के भेष में खड़े हो गए हैं। सुदामा ने ब्राह्मण से जगन्नाथ धाम का पता पूछा तो भगवान ने बताया कि उनके पीछे जो आग का गोला है उसमें प्रवेश करने के बाद ही भगवान के दर्शन होंगे। सुदामा आग के गोले में प्रवेश होने के लिए बढ़े तो भगवान ने उन्हें साक्षात् दर्शन दिया। सुदामा ने रास्ता में मिले सभी पीड़ितों के दुख दूर करने की प्रार्थना की तो भगवान जगन्नाथ ने उन्हें एक बेंत देकर कहा कि यह बेंत मारोगे उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। मान्यता है कि तब से चैत्र मास शुक्ल पक्ष शुरू होने पर श्रद्धालु भक्तिपूर्वक सोमवार को भगवान जगन्नाथ का पूजन-अर्चन करते हैं और उनके बेंत खाकर अपने कष्ट दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

इस ग्राफ़ में दी गई धार्मिक धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।



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