माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति माँ सिद्धिदात्री हैं। माँ सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। नवरात्र में नौवें दिन मां की उपासना की जाती है। मां की उपासना से ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य आ जाती है। मां की अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ, इसी कारण वह फननारीश्वर कहलाए।
माँ सिद्धिदात्री की उपासना से भक्तों की सारी कामनाओं की पूर्ति होती है। माँ सिद्धिदात्री शोक, रोग और भय से मुक्ति प्रदान करती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से हर प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। नवरात्र के नौवें दिन मां की उपासना के बाद ही नवरात्र का समापन माना जाता है। माँ सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन हैं। माँ का वाहन सिंह है। मां की उपासना से अष्ट सिद्धि और नवनिधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मण और गाय को भोजन अवश्य कराएं। मां की पूजा के समय बैंगनी रंग के वस्त्रों को धारण करना चाहिए। मां की उपासना से अमृत पद की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा से मनुष्य को सभी देवियों की पूजा का फल प्राप्त हो जाता है। मां सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का रूप भी माना जाता है। माँ को मौसमी फल, हलवा पूड़ी, काली चने, नारियल का भोग लगाया जाता है और नवमी पूजन के साथ व्रत का समापन होता है।
इस ग्राफ़ में दी गई धार्मिक धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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