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सरकारी रिकॉर्ड में होती हैं कोरोना से जितनी मौतें, कोविड घाट पर रोजाना उससे 5 गुना ज्यादा लोगों का होता है अंतिम संस्कार  

सरकारी रिकॉर्ड में होती हैं कोरोना से जितनी मौतें, कोविड घाट पर रोजाना उससे 5 गुना ज्यादा लोगों का होता है अंतिम संस्कार  

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में कोरोना के हालात अब अधिक हैं। यहां संक्रमण और मौतों की संख्या तेजी से घट रही हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के आंकड़े लगातार सवालों के घेरे में हैं। मृत्यु के आंकड़ों पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि को विभाजित से होने वाली मौतों के अंतिम संस्कार के लिए जो श्मशान घाट रिजर्व किया गया है, वहां चौबीसों घंटे चिताएं धपेराती रहती हैं। कब्रिस्तानों में भी रोज़ाना तमाम लोग दफनाए जा रहे हैं। & nbsp;

आ चार्ट के साथ बाजीगरी & nbsp;
सरकारी आंकड़ों में घाटों और कब्रिस्तान में होने वाले अंतिम संस्कार की संख्या में रोजाना तकरीबन पांच गुना तक का मामला होता है। को विभाजित से होने वाली मौतों के आंकड़ों के साथ बाजीगरी क्यों की जा रही है। जिम्मेदार अधिकारी सच पर पर्दा क्यों डाल रहे हैं। आ चार्ट के साथ बाजीगरी क्यों की जा रही है, वर्तमान में ये साफ नहीं है। आंकड़ों के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लेटर भेजकर इस मामले में न्यायिक जांच कराने का आदेश देने की अपील की है। & nbsp; & nbsp;

रोज़ाना सैकड़ों की संख्या में लोग प्रभावशाली हो रहे हैं
देश के दूसरे हिस्सों की तरह संगम नगरी प्रयागराज में भी कोरोना को लेकर कोहराम मचा हुआ है। हालात कुछ अधिक में जरूर आए हैं, लेकिन जांच की संख्या कम होने के बावजूद यहां अब भी रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग आशंकाएं हैं। दो सप्ताह पहले कोरोना का शिकार हुए तकरीबन दो दर्जन लोग रोजाना दम तोड़ते थे। ये संख्या घटकर अब आठ-नौ पर आ गई है, लेकिन कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या पर विवाद पहले की तरह ही बरकरार है। दावा ये किया जाता है कि सरकारी अमला मौतों को लेकर जो आंकड़ा पेश करता है, जो दावा करता है, वो हकीकत से कोसों दूर होता है। आंकड़ों को झुठलाने और गलत बताने वाले इसके पीछे ऐसी दलील पेश करते हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। & nbsp;

अलग हैं आंकड़े और nbsp;
दरअसल, प्रयागराज में कोरोना से होने वाली मौतों के अंतिम संस्कार के लिए फाफामऊ में एक अलग घाट रिजर्व कर दिया गया है। यहां सिर्फ कोरोना की चपेट में आकर मौत का शिकार होने वाले उन्हीं लोगों का दाह संस्कार किया जाता है, जिनके शवों में विशेष प्लास्टिक कवर में पैक कर परिवार वालों को दिया जाता है। प्रशासन रोजाना जो आंकड़े पेश करता है, उसे तकरीबन पांच गुना ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार अकेले इस घाट पर होता है। इसके अलावा कुछ लोग शवों को लेकर अपने पैतृक गांव चले जाते हैं। तमाम लोगों को कब्रिस्तान में दफना दिया जाता है। फाफामऊ घाट पर पुलिस ने अब अस्थाई तौर पर जो बूम बनाया है, वहां के रजिस्टर में भी हकीकत दर्ज है। पुलिस रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक एक ही दिन में एक बार 131 और दूसरे बार 126 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। पुलिस महकमे का ये रजिस्टर भी सरकारी दावों की पोल खोल हुआ नजर आया। & nbsp;

दी जा रही है ये दलील & nbsp;
आंकड़ों की बाजीगरी को लेकर अफसरान कैमरे पर तो कुछ भी बोलने से इनकार करते हैं, लेकिन अपने बचाव में वो ये दलील भी दे रहे हैं – प्रयागराज शहर और यहां संगम के करीब गंगा का धार्मिक महत्व होने की वजह से दूसरे जिलों से भी तमाम लोग शवों का दाह संस्कार करने के लिए आते हैं। निश्चित रूप से प्रयागराज में दूसरे जिलों के लोग भी मोक्ष की कामना के साथ शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं, लेकिन उनकी संख्या बेहद कम होती है। ये संख्या बीस -तीस प्रति तो बढ़ सकती है, लेकिन मौतों के आंकड़े को कतई पांच गुना नहीं बढ़ा सकती। & nbsp;

जांच की मांग & nbsp;
इस बारे में प्रयागराज में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता हसे अहमद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के शेफ जस्टिस को लेटर भेजकर उनसे आंकड़ों के साथ सटकर किए जा रहे खिलवाड़ की जांच कराए जा रहे हैं। मांग की है। अपने लेटर में उन्होंने कहा है कि सरकारी जांच में लीपापोती कर क्लीन चिट दी जाएगी, इसलिए कोर्ट को इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश देने चाहिए। & nbsp;

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