देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर पहले से बहुत ज्यादा खतरनाक नजर आ रही है। इस बीच को विभाजित के नए वैरिएंट को लेकर ये भी दावा किया जा रहा है कि वायरस की जांच के लिए सबसे बेहतरीन पैमाना माने जाने वाले RT-PCR टेस्ट में भी इसका पता नहीं चल रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को इन सभी दावों को दरकिनार करते हुए कहा है कि आरटी-पीसीआर जांच, देश में मौजूद सभी को विभाजित वेरिएंट को डिटेक्ट करने में सक्षम है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, “भारत में जो आरटी-पीसीआर टेस्ट इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जो वायरस के नए म्यूटेशन को भी पकड़ने में सफल रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां ये टेस्ट दो से ज्यादा जीन्स को टारगेट करते हैं। “
क्लिनिकल डेटा साझा नहीं कर रहे हैं कई राज्य हैं
साथ ही मंत्रालय ने इस बात पर भी चिंता जताई कि कई राज्य अपने यहां आए को विभाजित पॉजिटिव मामलों का क्लीनिकल डेटा नहीं साझा कर रहे हैं, जबकि उन्हें ऐसा करने के दिशानिर्देश पहले ही दिए जा चुके थे। मंत्रालय ने कहा, “महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और राजस्थान सहित कई राज्यों ने हमारे साथ ये डेटा शेयर नहीं किया है। केवल पंजाब और दिल्ली ने ही हमें संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाई है।”
स्वास्थ्य एक्सपर्ट ने माना था कि पकड़ में नहीं आ रहा है
बता दें कि कई हेल्थ एक्सपर्ट्स ने माना है कि देश में बढ़ते केस का कारण कोविड के नए वेरिएंट हैं। दिल्ली के अस्पतालों का कहना है कि कई मामलों में वायरस अब पकड़ में नहीं आ रहे हैं। कई मामले ऐसे आ रहे हैं, जिसमें रोगी को कोविड -19 से जुड़े सभी लक्षण होते हैं, इसके बावजूद वे निगेटिव आते हैं। यहां तक कि वायरस की जांच के लिए सबसे बेहतरीन पैमाना माने जाने वाले आरटी-पीसीआर जांच में भी इसका पता नहीं चल रहा है। कुछ मामलों में तो दो तीन बार टेस्ट करवाने के बाद भी वायरस पकड़ में नहीं आ रहा है। जिसके बाद लोगों की चिंता बढ़ गई।
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