न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, हरिद्वार द्वारा प्रकाशित: निर्मला सुयाल निर्मला सुयाल अपडेटेड सन, 11 अप्रैल 2021 01:00 पूर्वाह्न IST
12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या का शाही स्नान है। सोमवती अमावस्या पितृ कार्यों के साथ भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करने के लिए महत्वपूर्ण होती है। सोमवती अमावस्या पर स्नान करने से 12 गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इसलिए 12 अप्रैल को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। मेला पुलिस-प्रशासन इसकी तैयारियों में जुट गया है। प्राच्य विद्या समाज के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य डॉ। प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार शनिवार को जब अमावस्या होती है तो शनिश्चरी अमावस्या कही जाती है। ये पितृ कार्यों के लिए होता है। मंगलवार को अमावस्या होने पर उसे भौमवती अमावस्या कहते हैं और इसमें कठोर कार्य किए जाते हैं। लेकिन सोमवार को अमावस्या होने पर सोमवती अमावस्या कहती हैं। कुंभ वर्ष में इसका महता अधिक हो जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ। प्रतीक मिश्रपुरी बताते हैं कि सोमवती अमावस्या में स्नान और दान करने से सभी पापों का नाश होता है। साथ में प्रचुर मात्रा में लक्ष्मी प्रदान करता है। 12 अप्रैल को इस संवत का अंतिम दिन है। इस दिन सोमवती अमावस्या पूर्व के कुंभ वर्षों में देखने को नहीं मिलता है। इस दिन किया दान, पीपल की परिक्रमा, लक्ष्मी प्रदान करने वाली होगी। इस दिन कुंभ लग्न में किया गया स्नान 12 गुना फल देगा और कुंभ लग्न सुबह चार बजे से शाम पांच बजे तक होगा। इसके बाद दोपहर 12 बजे से 12.45 भी स्नान किया जा सकता है।
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