दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के स्वास्थ्य ढांचे को लेकर गुरुवार को दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की। हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी की इस परीक्षा की घड़ी में राजधानी में वर्तमान स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि राजधानी के जो भी निवासी को विभाजित -19 से पीड़ित हैं, उन्हें इलाज की सुविधा मुहैया कराएं।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि सरकार अगर यह कह रही है कि स्वास्थ्य ढांचा चरमराया नहीं है तो वह शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार कर रही है जो संकट के समय अपना सिरंड में धँस लेता है।
बेंच ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा से कहा कि आप सैंड में सिर धनासए शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार कर रहे हैं। जब आप इस स्थिति का बचाव कर रहे हैं तो आप राजनीति से ऊपर नहीं उठ रहे हैं। हम हमेशा सच कहते हैं कि क्या वह भी कड़वा क्यों नहीं है। मेहरा ने बेंच के समक्ष कहा था कि वह यह नहीं कह सकती हैं कि स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है।
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उन्होंने कहा कि सरकार के पास कई पुरस्कार हैं जैसे बेड की संख्या 15 हजार तक बढ़ाना और आईसीयू बेड की संख्या 1200 बढ़ाना। ये सब पाइपलाइन में हैं और अब ऑक्सीजन की आपूर्ति भी हो रही है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ ऑक्सीजन की बात नहीं है। क्या ऑक्सीजन पर्याप्त है? आपके पास ऑक्सीजन है तो आपके पास सब कुछ है?
बेंच ने कहा है कि पाइपलाइन तो पाइपलाइन है। वे वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं। बेंच ने यह टिप्पणी 53 वर्षीय एक को विभाजित रोगी की याचिका पर की, जिसने वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बिस्तर की मांग की क्योंकि उसकी ऑक्सीजन का स्तर लगभग 40 तक गिर गया और उसे कहीं भी आईसीयू बिस्तर नहीं मिल पा रहा है।
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