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हिंदी के मशहूर कवि डॉ.कुंअर बेचैन को भी नहीं मिला वेंटिलेटर, कुमार विश्‍वास के ट्वीट के बाद मिली मदद

by Sneha Shukla

हिंदी के प्रसिद्ध कवि और जाने माने रचनाकार कुंवर बेचैन भी कोरोना की चपेट में हैं। उनकी हालत गंभीर हो गई है। अक्सीजन लेवल 77 तक पहुंच गया लेकिन दिलनली के एक निजी अस्सपताल में भर्ती कुंवर बेरेन को इस हालत में भी वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा था। तब हिंदी जगत के दूसरे बड़े कवि डॉ.कुमार विशनवास ने ट्वीट कर उनके लिए मदद मांगी। इस ट्वीट के बाद गौतमबुद्धनगर से सांसद डा.महेश शर्मा ने कुमार विशनवास को फोन कर मदद का आंवटन दिया। अब कुंवर बेचैन को डॉ.महेश शर्मा के कैलाश अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है।

देश भर में तेजी से कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दिल्नली एनसीआर में भी वेंटिलेटरों और बेड के लिए मारामारी हो रही है। डॉ.कुमार विशनवास ने ट्वीट कर कुंवर बेचैन के स्वयंसथ्‍य की जानकारी दी है। उनके अनुसार कुंवर बेचैन की सेहत बहुत खराब है।

कवि कुमार विश्‍वास ने अपने ट्वीट में लिखा- ‘रात 12 बजे तक प्रयास चलता रहा, सुबह से ही सभी परिचित डॉक्‍टर को कॉल कर रहे हैं। हिंदी के वरिष्ठ संगीतकारकार गुरुप्रवर डॉ। कुंवरसैन का कॉसमॉस अस्पताल, आनंद विहार दिल्ली में विभाजित उपचार चल रहा है। ऑक्सीजन लेवल सत्तर पहुंच गया है। तुरंत वेंटिलेटर की आवश्यकता है। कहीं कोई बिस्तर ही नहीं मिल रहा है। कुमार विश्‍वास ने यह ट्वीट तब किया था, जब वह फोन पर परिचित डॉक्‍टर्स से मदद मांगकर थक गए।

कवि कुमार विश्‍वास के ट्वीट के बाद साहित्‍यप्रेमी कुंवर बेचैन के जल्‍द ठीक होने की दुआ सुन रहे हैं।) इसके साथ ही कई लोगों ने सरकार से जुड़े लोगों को मदद की गुहार के साथ टैग किया है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने टिप्नपनी की है कि जब ऐसे प्रख्यात व्यक्ति को सुविधाएं और संसाधन नहीं मिल पा रहे हैं तो आम लोगों का क्या हाल होगा।

कुमार विश्‍वास ने डा.महेश शर्मा का जिक्र किया
डा। महेश शर्मा द्वारा मदद का आस्वासन दिए जाने के बाद कवि डा.कुमार विशनवास ने उनका आभार जताया है। उन्होंने एक बार फिर ट्वीट किया। इस ट्वीट में कुमार विश्‍वास ने लिखा-बहुत आभार डॉ। महेश शर्मा जी। उनका स्वयं कॉल आया है और वे डॉ। कुंअर जी को अपने अस्पताल में वेंटिलेटर पर शिफ़्ट करा रहे हैं। ईश्वर से प्रार्थना करें कि पूज्य गुरुप्रवर स्वस्थ हों। कृपा करके आप सब भी अपना बहुत-बहुत ख़्याल रखें। स्थिति अनुमान से अधिक ख़राब है। आप सब का भी आभार।

हिंदी का बड़ा नाम कुंवर बेचैन हैं
कुंवर बेचैन हिंदी साहित पाठ का बड़ा नाम हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। उनका असली नाम डॉ। कुंवर बहादुर सक्सेना है। ‘बेचैन’ उनका तख़ल्क़ है। कुंवर बेचैन गंगाबाद के एम.एम.एच. महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष रहे। वह आज के दौर के सबसे बड़े रचनाकारों और शायरों में शुमार किए जाते हैं। उनके कुछ प्रसिद्ध गीतों में ‘एक दीप चौमुखी,’ पिन बहुत सारे ‘,’ भीतर शाकल: बाहर सांकल ‘,’ उर्वशी हो तुम, झुलसो मत मोरपंख ‘, नदी पसीनाने की’, ‘दिन ढलने वाली’, ‘ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने कांच के ‘,’ महावर इंतज़ारों का ‘,’ रस्सियाँ पानी की ‘,’ पत्थर की बांसुरी ‘,’ दीवारों पर दस्तक ‘,’ नाव बन गई काग़ज़ ‘,’ आग पर कंदिल ‘शामिल हैं। इसके अलावा ‘नदी तुम पड़ क्यों गई’, पांचाली (महाकाव्य), ‘शब्द: एक लालटेन’, जैसे उनके कई कविता संग्रह हैं।

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