Home » हिंसा रोकने से लेकर कोरोना को काबू करने तक, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के साथ ही Mamata Banerjee के सामने ये हैं बड़ी चुनौतियां
हिंसा रोकने से लेकर कोरोना को काबू करने तक, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के साथ ही Mamata Banerjee के सामने ये हैं बड़ी चुनौतियां

हिंसा रोकने से लेकर कोरोना को काबू करने तक, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के साथ ही Mamata Banerjee के सामने ये हैं बड़ी चुनौतियां

by Sneha Shukla

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को ऐतिहासिक जीत मिली है। उनकी पार्टी टीएमसी ने 292 में से 213 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की है। वहीं, पूरा जोर लगाने के बाद भी बीजेपी सिर्फ 77 सीटों पर ही जीत पाई है। आज ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है और तीसरी बार राज्य की कमान संभाल ली हैं। इस बार उनके सामने कई बड़ी मुश्किलें हैं। आइए जानते हैं-

कैसे होती है हिंसा?

चुनावी जीत के साथ ही पश्चिम बंगाल से हिंसा की खबरें लगातार आ रही हैं। कहीं आगजनी हो रही है तो लूट और हत्याएं बेरोकटोक जारी हैं। कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि बीजेपी और उसके कार्यकर्ताओं को टीएमसी लक्ष्य बना रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री के लिए यह बहुत ही चुनौती पूर्ण स्थिति है कि वे इसी तरह की घटनाओं पर कैसे लगाम डालती हैं और राज्य में शांति का माहौल कायम हैं।

कोरोना की स्थिति बेकाबू

अब तक देशभर में कोरोना की स्थिति बेकाबू हो चुकी है, हर तरफ लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 4 मई को पश्चिम बंगाल में 17 हजार से ज्यादा अंतर के मामले आए और 107 लोगों की मौत हो गई। संक्रमण और मौतों का ये अब तक का सबसे ज्यादा नंबर्स हैं। राज्य में इस अंतर से 11,744 मौते हो चुके हैं जबकि 1,20,946 सक्रिय मामले हैं। ये अंतर कैसे रुकेगा? इस पर कैसे हो सकता है? ऐसी कठिनाइयों के अभी ममता के सामने ढेर हैं।

वेंटीलेटर, ऑक्सीजन की कमी

चुनावों के बीच सत्तारुढ़ टीएमसी सहित सभी पार्टियां कोरोना की स्थिति को नज़र अंदाज कर प्रचार में लगे रहे। फरवरी में जब चुनावों का ऐलान हुआ तो पश्चिम बंगाल में हर रोज 200 के आस-पास मामले आ रहे थे और अब यह आंकड़ा 17 हजार हो चुका है। कोरोना संक्रमण के मामले हर रोज यहां रिकॉर्ड नंबर्स आ रहे हैं। अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं है, ऑक्सीजन की कमी है, लोगों को बेड नहीं मिल रहा है। समय से इलाज ना मिलने के कारण लोगों की मौत हो रही है। ये स्थिति कैसे सुधारेगी? केंद्र सरकार से अपने संबंधों को सही कर रही सीएम किस तरह अपने लिए हर संभव मदद ले सकती हैं? ममता बनर्जी को अब तीसरी बार सीएम की कुर्सी पर बैठने के साथ ही इस स्थिति को सही करना होगा।

हिंसा रोकने से लेकर कोरोना को ओवर करने तक, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के साथ ही ममता बनर्जी के सामने ये बड़ी सावधानियां हैं

बड़ी जीत की जिम्मेदारी

जब सरकार बड़ी जीत दर्ज करती है तो जनता की उम्मीदें भी बहुत ज्यादा होती हैं। इस तरह से इस बार जीत पश्चिम बंगाल की जनता ने ममता बनर्जी को दी है। 2016 के मुकाबले टीएमसी को मिलने और वोट पर्सेंटे ज्यादा मिला है। 2016 में टीएमसी ने 294 में से 211 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार यह आंकड़ा 213 पर पहुंच गया है।

वहीं वोट पर्सेंटेज की बात करें तो वह भी बढ़ गया है। इस विधानसभा चुनावों में बीजेपी के वोट प्रतिशत में लगभग 2 प्रतिशत से कम की गिरावट हुई, जबकि टीएमसी का आंकड़ा 5 प्रतिशत बढ़ गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 40.7 प्रतिशत वोट हासिल किए थे जो इस बार घटकर 38.09 प्रतिशत हो गए हैं। वहीं, लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी टीएमसी को 43.3 प्रतिशत वोट मिले थे जो अब 47.97 प्रतिशत हो गए हैं।

इस तरह जनता ने बड़ी जिम्मेदारियां भी ममता बनर्जी को दे दी हैं। राज्य में मीडिल वर्ग और बेरोजगार युवाओं को काम देने का वादा हर सरकार करती है, अब इस बार मुख्यमंत्री के सामने ये चुनौती है कि वह कैसे हर वर्ग की जनता को काम और कमाई का जरिया दे पाती हैं।

केंद्र सरकार के साथ समन्यव

ममता बनर्जी और केंद्र सरकार में आरोप प्रत्यारोप की खबरें रोज आती रहती हैं। ममता कई बार आरोप लगा चुके हैं कि केंद्र सरकार का रवैया पश्चिम बंगाल को लेकर भेदभाव वाला है। हाल ही में कोविड -19 की वैक्सीन को लेकर भी ममता ने कहा था कि वह मुफ्त में लोगों का वैक्सीनेशन करना चाहती हैं लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं करने दे रही है। वैक्सीन की कीमत को लेकर भी ममता सवाल उठाया गया है।

कई योजनाओं को लेकर ममता केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर रहती हैं। केंद्र सरकार भी कई बार ये आरोप लगा चुकी है कि ममता बनर्जी जरुरी सभाओं में अनुपस्थित रहती हैं। ऐसे में कोरोना की बेकाबू हो रही स्थिति को देखते हुए ममता बनर्जी को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा और इस भयावत स्थिति से बाहर निकलना होगा। मुख्यमंत्री इस स्थिति में कैसे सरकार के साथ संबंध सुधारती हैं, ये बड़ी चुनौती है।

मूल्य निर्मल होना

राज्य में होने वाले तेल परीक्षणों के आरोप में कई टीएमसी प्रमुख हैं। इसमें ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम भी शामिल है। ऐसे में अबममता बनर्जी के ऊपर ये भी एक जिम्मेदारी है कि वह अपने तीसरे कार्यकाल में सरकार पर प्रकाशन का नारा ना लगने दें।

यह भी पढ़ें-

महाराष्ट्र लॉकडाउन दिशानिर्देश: महाराष्ट्र में नई पाबंदियों की घोषणा की गई, जानें नए और नए नियम

RBI के गवर्नर का पता

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment