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5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बांड की बिक्री रोकने की मांग SC ने ठुकराई, कहा- पहले से चल रही है प्रक्रिया

5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बांड की बिक्री रोकने की मांग SC ने ठुकराई, कहा- पहले से चल रही है प्रक्रिया

by Sneha Shukla

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पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इलेक्टोरल टेप पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। इलेक्टोरल मीटर के खिलाफ 2018 से कानूनी लड़ाई लड़ रहे एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका में कहा गया था कि इस माध्यम से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का स्रोत पता नहीं चलता है।

कॉरपोरेट कंपनियों से मिलने वाला यह गुप्त दान लोकतंत्र के लिए भी नुकसानदेह है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि पिछले 3 साल से चल रही इस प्रक्रिया पर अचानक रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके पहले दिए आदेशों में इस मसले पर कुछ सेफगार्ड बनाए गए थे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स पहले भी कई मौकों पर इलेक्टोरल टेप पर रोक लगाने की मांग करता रहा है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इसका जश्न मनाया है।

चुनाव से पहले इलेक्टोरल मीटर की बिक्री शुरू हो जाती है

एनजीओ की याचिका विस्तृत परीक्षण के लिए लंबित है। 2019 में इसी याचिका को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि सभी राजनीतिक दल खुद को इलेक्टोरल गेट से मिले चंदे की जानकारी सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को दें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक इन लिफाफों को सील ही रखा जाएगा। इस मामले में एनजीओ की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा था कि उनकी याचिका को विस्तृत सुनवाई के लिए नहीं लगाया जा रहा है। हर बार चुनाव से पहले इलेक्टोरल टेप की बिक्री शुरू हो जाती है।

राजनीतिक दलों को कारपोरेट कंपनियों से गुप्त चंदा मिलेगा

इस बार भी पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में चुनाव होने वाले हैं और एक अप्रैल से इलेक्टोरल टेबल की बिक्री शुरू हो रही है। एक बार फिर राजनीतिक दलों को कारपोरेट कंपनियों से गुप्त चंदा मिलेगी। इसकी जानकारी आम लोगों को नहीं मिली। याचिका का विरोध करते हुए एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था, “यह कहना गलत है कि इलेक्टोरल टेबल के जरिए राजनीतिक दलों को काले धन दिया जाता है।”

इस तरह का चेक बैंक से खरीद समय चेक या ड्राफ्ट से भुगतान किया जाता है। इसलिए, यह धन काला धन ही नहीं हो सकता। इलेक्टोरल टेबल के आने के बाद से पक्षों को इसी के माध्यम से चंदा मिल रहा है। उन्हें नगद चंदा नहीं मिली। “

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