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चीन से तनातनी के बाद सरकार ने टिकटॉक सहित कई चीनी कंपनियों के लोकप्रिय ऐप पर बैन लगा दिया था। अब सरकार ने टेलीकॉम नेटवर्क को भी चीनी कंपनियों के दायरे से बाहर रखने के लिए इंटरनेट सेवा प्रोवाइडर्स यानी आईएसपी की लाइसेंसिंग शर्तों में बदलाव कर दिया है। 15 जून के बाद कंपनियों ने सिर्फ उसी उपकरणों का इस्तेमाल कर पाएंगीं, जिन्हें सरकार से मंजूरी मिली हो।
इंटरनेट नेटवर्क में अब चीनी उपकरण नहीं लगेंगे
सरकार के इस नए नियम से इंटरनेट नेटवर्क में अब चीनी उपकरण नहीं लगाए जाएंगे। आईएसपी कंपनियां सिर्फ ट्रस्टेड सोर्सेस से ही उपकरण लगा सकती हैं। इक्विपमेंट बनाने वाली सभी कंपनियों को सरकारी पोर्टल पर रजिस्टर करना अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं नेटवर्क अपग्रेड करने के लिए भी सरकारी मंजूरी की जरूरत होगी। वास्तव में दुनिया के कई देशों में चीनी टेलीकॉम कंपनियों पर दबाव बढ़ रहा है। इन चीनी उपकरणों से जासूसी के कुछ मामले सामने आने के बाद कई देशों ने आईएसपी के नियमों में परिवर्तन कर उन्हें कड़ा कर दिया था। चीनी की 5-जी टेक्नोलॉजीज को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। चीनी कंपनी ह्यूवि को अमेरिका में 5 जी के लिए मंजूरी नहीं मिल रही है। वहीं भारत में हसव को लेकर सतर्कता देखी जा रही है।
लागत बढ़ेगी लेकिन घरेलू कृषि को बढ़ावा मिलेगा
भारत में कई छोटी कंपनियों चीनी उपकरणों पर निर्भर हैं। चीन का कहना है कि अब तक ये चीन की कंपनियों पर निर्भर था, इससे कंपनियों की लागत थोड़ी बढ़ सकती है लेकिन जानकार मानते हैं कि सुरक्षा कारणों के कारण सरकार ने सही कदम उठाया है। अभी रेलवे, पावर स्टड, ऑयल इंडिया और गेल जैसी सरकारी कंपनियों के अलावा 700 से ज्यादा छोटी कंपनियों इंटरनेट सेवा प्रोवाइडर का काम करती हैं, नई शर्तों से लागत तो बढ़ेगी लेकिन घरेलू लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रोडक्शन लिस्ट इंसिडिव स्कीम के बारे में भी आई है।
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