बीमा क्षेत्र के उत्पादों इरडा (IRDAI) ने स्वास्थ्य इंश्योरेंस कंपनियों को कहा है कि वे अपने नेटवर्क में ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करें जो को विभाजित रोगियों को कैशलेस फैसिलिटी देने से इनकार कर रहे हैं। इरडा ने यह निर्देश उन खबरों के बाद दिया था, जिसमें कहा गया था कि कई अस्पताल स्वास्थ्य इंश्योरेंस ग्राहकों को कैशलेस फैसिलिटी नहीं दे रहे हैं। साथ ही वे मैकेनिकलायोटिक का भी जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने ट्वीट कर दी थी इसकी जानकारी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविद मरीजों का इस्तेमाल करने वाले नेटवर्क अस्पतालों की ओर से कैशलेस फैसिलिटी न देने की खबर के बाद ट्वीट किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी इस संबंध में इरदा चेयरमैन एससी खूंटिया से बात हुई थी। इसके बाद इरडा की ओर से अस्पतालों को कहा गया कि वे मरीजों को कैशलेस फैसिलिटी देने से इनकार नहीं कर सकते। नेटवर्क अस्पताल के साथ ही अस्थायी अस्पताल भी कैशलेस फैसिलिटी देने से इनकार नहीं कर सकते।
अस्पतालों पर इलाज के लिए ज्यादा पैसे लेने का चार्ज
इंश्योरेंस कंपनियों की यह भी शिकायत है कि कंपनियों को अलग ट्रीटमेंट के लिए अलग-अलग चार्ज कर रहे हैं। इन कंपनियों का कहना है कि भारत में दूसरे विकसित देशों की तुलना में चिप स्कैन का भी काफी इस्तेमाल किया जा रहा है। स्वास्थ्य इंश्योरेंस कंपनियों का ये भी कहना है कि रोगी डर से अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं लेकिन अस्पताल एक ही कमरे में कई रोगियों को बनाए रखने सिलेक्शन ऑक्यूपेंसी रूम का चार्ज ले रहे हैं। इससे एवरेज क्लेम राशि बढ़ कर 1.40 लाख रुपये तक पहुंच रही है। जबकि पिछले वर्ष यह राशि 1.30 लाख रुपये थी। इरडा ने कहा है कि अगर कैशलेस क्लेम पाने में दिक्कत हो रही है तो वह इसकी वेबसाइट पर शिकायत दूर करने वाले संबंधित अधिकारियों को मेल कर रहे हैं।
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