दोस्तों, अधिगम का सिद्धांत आज के समय पूर्ण रूप से प्रमाणित किया जा चुका है। अधिगम के सिद्धांत के ऊपर ही शिक्षा व्यवस्था को आधारित किया जा सका है, और कई देशों में शिक्षा व्यवस्था अधिगम के सिद्धांत का पूर्ण प्रतिपालन करती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिगम के सिद्धांत (Theory Of Learning) in hindi for CTET क्या है? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं। क्योंकि आज हम आपको बताने वाले हैं कि अधिगम के सिद्धांत (Theory Of Learning) in hindi for CTET क्या है।
इसी के साथ हम आपको यह भी बताएंगे कि अधिगम के सिद्धांत के साथ साथ और कौन-कौन से सिद्धांत दिए गए हैं जो आपके लिए जानना जरूरी है। तो चलिए शुरू करते हैं-
अधिगम का सिद्धांत क्या है?
अधिगम का सिद्धांत मूल रूप से शिक्षण का सिद्धांत कहा जाता है। इसके अंतर्गत यह कहा गया है कि शिक्षा या सीखना एक प्रकार से मनुष्य के जीवन में जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया होती है, जो कभी भी रुकती नहीं है।
मनुष्य अपने जीवन के प्रशिक्षण से कुछ न कुछ सीखता ही रहता है, और यह प्रक्रिया एक प्रकृति के रूप में मनुष्य के जीवन में अंत समय तक चलती रहती है। कुछ मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम के सिद्धांत को एक महान सिद्धांत बताया है, और ऐसा बताया है कि एक जीव शिक्षा प्राप्त करने के लिए किन तरीकों का इस्तेमाल करता है।
जिसके अंतर्गत सुनकर सीखना, देखकर सीखना, बोलकर सीखना, महसूस करके सीखना शामिल है। इसके अंतर्गत कुछ अधिगम के सिद्धांत वर्गीकृत किए गए हैं, जैसे कि उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत, अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत, क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत, गेस्टाल्ट का अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, जीन पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धांत। इन सभी सिद्धांतों के बारे में हमने आपको रिचा विस्तार से जानकारी दी है-
अधिगम के सिद्धांत से संबंधित सिद्धांत
हमने आपको ऊपर बताया है कि अधिगम के सिद्धांत के अंतर्गत कौन-कौन से सिद्धांत माने जा सकते हैं, और दिए गए हैं। इसके बारे में हमने आपको यहां विस्तार से बताया है।
1. उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत
उद्दीपक अनुक्रिया का सिद्धांत थार्नडाइक का सिद्धांत है। यह सिद्धांत बताता है कि जब किसी प्राणी के समक्ष कोई उद्दीपक आता है, तो वह उसके सामने यह उसके लिए अनुक्रिया(प्रतिक्रिया) करता है। जब उद्दीपक करने वाले कर्ता को संतोषजनक परिणाम मिलते हैं तो वह उससे कुछ न कुछ सीखना शुरू करता है।
उद्दीपन अनुक्रिया के सिद्धांत को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है यह तीन नियमों में समझा जा सकता है –
- तत्परता का नियम
- अभ्यास का नियम
- और प्रभाव का नियम
इसके अलावा थार्नडाइक ने ऊपर बताए गए नियमों के अलावा भी 5 गौण नियमों का सृजन किया है। जो कि कुछ इस प्रकार है-
- बहू अनुक्रिया का नियम।
- आंशिक क्रिया का नियम,
- मनोवृति का नियम,
- सादृश्यता का नियम,
- साहचर्य रूपांतरण का नियम
2. अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत
अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के समक्ष एक उद्दीपक उपस्थित होता है तो वह व्यक्ति उसे उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया करता है। लेकिन यदि उस प्राणी के सामने उस उद्दीपक के साथ साथ कोई दूसरा उद्दीपक भी रख दिया जाए, तथा बार-बार इस प्रक्रिया को दोहराया जाए।
तो पहला उद्दीपक दूसरे उद्दीपक की जगह ले लेता है, और दूसरा उद्दीपक पहले उद्दीपक की जगह ले लेता है। इसके पश्चात जो प्राणी अनुक्रिया, उद्दीपक के प्रति कर रहा था वही वह अनुक्रिया दूसरे उद्दीपक के प्रति करने लगेगा। यह सिद्धांत इवान पी पावलव ने दिया था, और उन्होंने इसके निम्नलिखित कारक बताए थे जैसे कि पुनर्बलन, अभ्यास, और समय।
3. क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत
क्रिया प्रसूत का सिद्धांत अनुबंधन का सिद्धांत है। इस का प्रतिपादन स्किनर किया था इसकी ने बताया था कि उद्दीपक के बिना अनुक्रिया नहीं हो सकती है। यदि उद्दीपक उपस्थित नहीं है तो किसी भी प्रकार की अनुक्रिया अनुपस्थित रहेगी।
क्रिया प्रसूत अनुबंधन के सिद्धांत को दो रूप में वर्गीकृत किया गया है, जैसे की प्रतिक्रियात्मक व्यवहार और क्रिया प्रसूत का व्यवहार।
4. गेस्टाल्ट का अंतर्दृष्टि सिद्धांत
गेस्टाल्ट का अंतर्दृष्टि सिद्धांत कोहलर ने दिया था। इस सिद्धांत के अनुसार एक बुद्धिमान मनुष्य किसी भी समस्या के उत्पन्न होने पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देता है, बल्कि पहले उस समस्या को समझने का प्रयास करता है।
लेकिन जैसे ही समस्या बुद्धिमान व्यक्ति के समक्ष आती है तो वह अपने मस्तिष्क को क्रियाशील कर देता है। गेस्टाल्ट शब्द जर्मन भाषा का शब्द है, और इसका अंग्रेजी भाषा में सही रूपांतरण नहीं मिलने पर ऐसा ही रख दिया गया।
5. जीन पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धांत
जीन पियाजे का जन्म स्विट्जरलैंड में हुआ माना जाता है। जीन पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धांत को प्रतिपादित करने के लिए यह जानने का प्रयास किया कि छोटे बच्चे अपने आसपास के बाहरी जगत को जानने के लिए कहां-कहां से ज्ञान अर्जित करते हैं।
इसका विश्लेषण आज के समय 400 पुस्तकों के लेखों में प्रकाशित किया गया है। संज्ञानात्मक विकास को जीन पियाजे दो भागों में वर्गीकृत किया है। पहला संगठन और दूसरा अनुकूलन।
अंतिम विचार
आज के लेख हमने आपको बताया कि अधिगम का सिद्धांत क्या है। इसी के साथ हमने आपको यह भी बताया है कि अधिगम का सिद्धांत किस प्रकार कार्य करता है, और हमने आपको अधिगम के सिद्धांत से संबंधित अन्य सिद्धांतों के बारे में भी जानकारी दी है।
हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह लेख पढ़ने के पश्चात आप यह जान पाएंगे कि अधिगम का सिद्धांत क्या है। यदि जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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