नई दिल्ली: डीआरडीओ के एम्स और आरएमएल स्थित ऑक्सीजन प्लांट्स गुरूवार और nbsp; शाम को शुरू हो गए हैं। दोनों प्लांट्स से मरीजों को ऑक्साजीन सप्लाई भी शुरू हो गई है। & nbsp;
बता दें कि महज़ 15 दिनों से भी कम समय में इन & nbsp; प्लांट्स को लगाकर प्रतिद्वंद्वीेशन्ल कर दिया गया है। 20 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को देश के हर जिले में इस तरह के मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने का आदेश दिया था।
डीआरडीओ को ऑक्सीजन प्लांट लगाने की जिम्मेदारी मिली। br /> डीआरडीओ को कुल & nbsp; 500 ऐसे मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये ऑक्साजीन प्लांट्स एलसीए एंड nbsp; तेजस फाइटर जेट्स की ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली तकनीक पर आधारित हैं। ये सभी प्लांट्स की फंडिंग पीएम-कैर फंड से की जा रही है। & nbsp;
348 प्लांट टाटा कंपनी लगाएगी
डीआरआरओ ने एलसीएए और nbsp ; तेजस की ये तकनीक तुरंत प्राईवेट और सरकारी कंपनियों को सौंपी गई है। निर्णय लिया गया कि इन 500 प्लांट्स में से 348 प्लांट टाटा कंपनी लगाएगी और 48 प्लांट कैम्बटूर की ट्राईटेंड कंपनी लगाएगी। बाकी 120 प्लांट लगाने की जिम्मेदारी सीएसआईआर यानि काउंसिल ऑफ साईंटिफिक एंड इंडस्ट्रल रिसर्च के आईआईपी यानि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रॉबर्ट्रोलियम को सौंपी गई है। & nbsp;
इन तीन कंपनियों को जुलाई के महीने तक सभी 500 ऑक्सीजन प्लांट्स देश के हर जिले में। में लगाने का काम पूरा करना है- यानि हर महीने 165-170 प्लांट। एम्स और आरएमएल अस्पताल में मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स ट्राईडड कंपनी ने लगाए हैं। दिल्ली-एनसीआर के बाकी तीन हॉस्पिटल्स में भी इस महीने की 10 तारीख तक प्लांट्स लगाने का काम पूरा होने की संभावना है। & nbsp;
डीआरडीओ पहले भी लगा चुकी है ये प्लांट्स <। br /> दरअसल, इस तरह के प्लांट्स डीआरडीओ ने पहले से ही सेना के लिए लेह और उत्तर-पूर्व के हाई-ऑल्टिट्यूड इलाकों में लगा रखे हैं ताकि सैनिकों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा सके। वर्ष 2017 से डीआरडीओ के पास इस तरह के ऑक्सीजन प्लांट लगाने की टेक्नोलॉजी मौजूद है। & nbsp;
सूत्रों की मानें तो इस तरह के एक मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट पर करीब-करीब 80 लाख का खर्च आता है। यानि & nbsp; सभी 500 प्लांट्स कुल 400 करोड़ का खर्चा करेंगे। ये सारा खर्च पीएम-कोर फंड उठाएगा। & nbsp;
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