नमस्कार दोस्तो, आपने अक्सर अपने जीवन के अंतर्गत भारतेंदु युग के बारे में तो जरूर सुना होगा, या फिर कहीं ना कहीं तो इसके बारे में जरूर पढ़ा होगा। दोस्तों क्या आप जानते है, कि भारतेंदु युग की विशेषताएं क्या थी (bhartendu yug ki visheshtaen)। यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि भारतेंदु युग की विशेषताएं क्या थी,(bhartendu yug ki visheshtaen), हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।
भारतेंदु युग की विशेषताएं क्या थी? (bhartendu yug ki visheshtaen)
दोस्तों भारतेंदु युग के अंतर्गत हमें अलग-अलग प्रकार की कई विशेषताएं देखने को मिलती हैं, जो निम्न प्रकार से है :-
1. राष्ट्रप्रेम का भाव
दोस्तों भारतेंदु युग के अंतर्गत हमें राष्ट्रप्रेम का भाव काफी अधिक मात्रा में देखने को मिलता है, तथा हमें यह देखने को मिलता है कि राष्ट्रप्रेम क्या होता है, किस तरह से एक व्यक्ति अपने जीवन को राष्ट्र के लिए समर्पित करता है, तथा किसी भी व्यक्ति के जीवन के अंतर्गत दुष्ट के राष्ट्र का कितना महत्व होता है, यह सभी हमें भारतेंदु युग के अंतर्गत देखने को मिलता है, वहां से इस विषय के बारे में हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।
2. जनवादी विचारधारा
दोस्तों भारतेंदु युग की जनवादी विचारधारा भी एक काफी प्रमुख विशेषता मानी जाती है। भारतेंदु युग के लोग पुराने ढांचे से संतुष्ट नहीं थे, तो इसलिए उन्होंने अपने ढांचे के अंतर्गत बदलाव करके नयापन लाने का प्रयास किया था, और इसके अंतर्गत उन्होंने जनवादी विचार धारा के अंतर्गत काफी महत्व दिया था।
3. हास्य व्यंग की प्रधानता
दोस्तों भारतेंदु युग के अधिकांश कवियों ने हास्य व्यंग के अंतर्गत भी काफी महत्व दिया था, जो कि इस नियुक्ति यह काफी महत्वपूर्ण विशेषता मानी जाती है, जिसके अंतर्गत अलग-अलग रचनाकारों ने इस विषय पर काफी महत्व दिया था।
4. प्रकृति वर्णन
दोस्तों भारतेंदु युग के कवियों के द्वारा प्रकृति का वर्णन काफी अच्छी तरह से किया गया है, जिसके अंतर्गत अनेक कवियों ने अपने अलग-अलग प्रकार की गद्यांश और पद्यांश के माध्यम से प्रकृति का काफी सुंदर वर्णन किया है, इसके अलावा उन्होंने प्रकृति के महत्व तथा प्रकृति के प्रेम को भी काफी बढ़ावा दिया है। किस तरह से प्रकृति हमारे जीवन के अंतर्गत महत्व रखती है, इसके बारे में भारतेंदु युग के कवियों ने काफी अच्छी तरह से वर्णन किया है।
5. भारतीय संस्कृति को बढ़ावा
दोस्तों इन भारतेंदु युग के कवियों के द्वारा भारतीय संस्कृति को काफी बढ़ावा दिया गया था, जिसके अंतर्गत अपनी बोली के माध्यम से भारतेंदु युग के कवियों ने भारतीय संस्कृति का प्रचार पूरी दुनिया भर के अंतर्गत किया था।
भारतेंदु युग को अन्य किस नाम से जाना चाहता है?
दोस्तों भारतेंदु युग को इसके अलावा भी कई नामों से जाना जाता है यदि आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि भारतेंदु युग को नवजागरण काल के नाम से भी काफी जाना जाता है।
भारतेंदु युग के अंतर्गत कौन-कौन से कवियों का नाम आता है?
अगर दोस्तों बात की जाएगी भारतेंदु युग के काल के अंतर्गत किन किन प्रमुख कवियों का नाम आता है तो इस सूची के अंतर्गत भारतेंदु हरिश्चंद्र, बद्रीनारायण चौधरी, प्रताप नारायण, मिश्र ठाकुर ,जगमोहन सिंह जैसे महान कवियों का नाम आता है। इसके अलावा भी इस युग के अंतर्गत राधा कृष्ण दास, लाला सीताराम जी से कभी भी हुए हैं, जिन्होंने काफी अच्छा काम किया है।
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आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि भारतेंदु युग की प्रमुख विशेषताएं क्या थी,(bhartendu yug ki visheshtaen), हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत भारतेंदु युग से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि भारतेंदु युग को अन्य किन नामों से जाना जाता है, इस युग के अंतर्गत प्रमुख कवियों का नाम क्या था और इस युग की प्रमुख विशेषताएं क्या थी।
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं
FAQ
भारतेंदु काल को ‘नवजागरण काल’ भी कहा गया है। हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के संक्राति काल के दो पक्ष हैं।
भारतेंदु हरिश्चंद्र, बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’, प्रतापनारायण मिश्रा, ठाकुर जगमोहन सिंह, अंबिकादत्त व्यास आदि इस युग के प्रमुख कवि थे। अन्य कवियों में बाबू राधाकृष्ण दास, लाला सीताराम बी.
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