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Corona vaccine: कोरोना की तीसरी वैक्सीन मिल जाने से क्या हम जीत लेंगे जंग ?

Corona vaccine: कोरोना की तीसरी वैक्सीन मिल जाने से क्या हम जीत लेंगे जंग ?

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> कोरोना से लड़ने के लिए भारत को तीसरी वैक्सीन भले ही मिल गई है लेकिन महज इतने भर से कोरोना जैसी महामारी के खात्मे की उम्मीद कर लेना, दिन में तारे देखने जैसा ही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO से लेकर देश व दुनिया के तमाम डॉक्टर दोहरा रहे हैं कि कोरोना न तो कोई सामान्य बुखार है और न ही वैक्सीन इसका पुख्ता व माकुल इलाज है। यह ठीक है कि संक्रमण को कुछ हद तक नियंत्रित करने में वैक्सीन कुशल साबित हो रही है लेकिन दुनिया के किसी भी देश ने पचास साल बीत जाने के बाद भी यह दावा नहीं किया है कि उसने कोरोना पर पूरी तरह से ओवर पा लिया है। लिहाजा, पूरी दुनिया में आज भी कामकाज लगाने, उचित दूरी बनाए रखने व-बार-बार हाथ धोने को ही कोरोना के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार माना जा रहा है।

हालांकि वैक्सीन की कमी से जूझ रहे भारत को रूस में बनी वैक्सीन स्पूतनिक वी के मिल जाने से कुछ राहत तो मिलेगी लेकिन इसमें भी अभी लगभग दो महीने का वक़्त लग सकता है। ऐसे में, वैक्सीन को लेकर कई राज्यों में मची अफ़रातफ़री फ़िलहाल खत्म नहीं होती। केंद्र सरकार के अनुसार जुलाई अंत तक देश की ‘प्राथमिकता सूची’ के 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना है। जबकि अब तक 10 करोड़ से कुछ अधिक लोगों को ही पहले से स्वीकृत दो टीकों की ख़ुराक मिल पाई गई है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना ​​है कि देश में टीकाकरण की गति की उम्मीद बहुत धीमी है। ऐसे में यह हासिल तभी हासिल हो सकता है जब यह मुहिम और बूम हो। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से देश के कई राज्य वैक्सीन की कमी की शिकायत कर रहे हैं। वैक्सीन की कमी के कारण टीकाकरण के कई केंद्रों को बंद भी करना पड़ा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के प्रमुख टेड्रॉस एडहॉनम गीब्रिएसस ने चेतावनी दी है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठा कर कुछ महीनों में कोरोना महामारी पर क़ाबू तो पाया जा सकता है लेकिन ये & ldquo; वायरस अभी जाने वाला नहीं है। & rdquo; उनके अनुसार अब तक वैश्विक स्तर पर कोरोना वैक्सीन के 78 करोड़ डोज़ लगाए जा चुके हैं लेकिन ये महामारी अभी ख़त्म होने से कोसों दूर है। दिसंबर, 2019 में चीन के वुहान से फैलना शुरू हुआ कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया में अब तक 13.65 करोड़ लोगों को अस्थिर किया है और 2,944,500 लोगों की जान ले चुकी है।

दुनिया के कई देशों का आकलन करने के बाद WHO ने पाया कि जनवरी और फरवरी में लगातार छह सप्ताह तक कोरोना के मामलों में कमी आती रही। लेकिन बीते सात सप्ताह से संक्रमण के मामले उछाल से बढ़ रहे हैं और बीते चार सप्ताह से मौतों की संख्या भी काफी बढ़ गई है। बीते सप्ताह कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए थे। भारत सहित एशिया और मध्य पूर्व के कई देशों में संक्रमण के मामलों में उछाल से उछाल आया है।

WHO का भी मानना ​​है कि महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन हथियार हथियार ज़रूर है लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल इसी हथियार से महामारी को वस्त्र जा सकता है। उन्होंने कहा, & ldquo; सोशल डिस्टेन्सिंग, वर्क लगाना और बार-बार हाथ धोना और हिसार जगह में रहना- महामारी के ख़िलाफ़ ये सब भी काम करते हैं। साथ ही सेवालांस, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, संक्षेपण और समझदारी से एक दूसरे का ख़याल रख कर भी हम कोरोना संक्रमण को रोक सकते हैं और ज़िंदगियां रह सकते हैं। & rdquo; उन्होंने कहा कि महामारी को लेकर कोताही बरती जा रही है और बड़े स्वास्थ्य के लिए उठाए गए कदमों में समानता नहीं है, इस कारण संक्रमण के मामलों में बूम आ रही है और लोगों की जान जा रही है।

उन्होंने कहा, & ldquo; जो इसके संक्रमण से ठीक हुए हैं, उनमें इस बीमारी के क्या दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, इस बारे में अभी भी कुछ स्पष्ट नहीं है। कुछ लोगों को लगता है कि वह युवा है और उन्हें विभाजित -19 हो जाएगा तो कई बात नहीं करेंगे। & ldquo; देश की ड्रग संस्था ने माना है कि रूस में विकसित कोरोना वैक्सीन स्पुतोनिक वी सुरक्षित है। यह वैक्सीन ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की तरह ही काम करता है। साइंस जर्नल ‘द लैंसेंट’ में प्रकाशित ऑथिरी चरण के ट्रायल के नतीजों के अनुसार स्पुतोनिक वी को विभाजित -19 के ख़िलाफ़ क़रीब 92 फ़ीट मामलों में सुरक्षा देता है।

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