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Coronavirus: कुत्तों के बाद अब मधुमक्खियां सूंघकर लगाएंगी संक्रमण का पता, वैज्ञानिकों ने दिया प्रशिक्षण

Coronavirus: कुत्तों के बाद अब मधुमक्खियां सूंघकर लगाएंगी संक्रमण का पता, वैज्ञानिकों ने दिया प्रशिक्षण

by Sneha Shukla

नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने मधुमक्खियों को गंध से को विभाजित -19 का पता लगाने के लिए परीक्षण किया है। रिसर्च को वैगनिंगन यूनिवर्सिटी के जैव-पशु चिकित्सा की प्रयोगशाला में 150 से ज्यादा मधुमक्खियों पर किया गया। वैगनिंगन यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने शुगर-पानी का घोल देकर मधुमक्खियों को पानी दिया। इसके लिए कोरोना सेर्ट मिंक का गंध इस्तेमाल किया गया।

कुत्तों के बाद अब मधुमक्खियां करेंगी कोरोना की पहचान?

अंत में देखा गया कि मक्खियां चंद सेंकड में हानिकारक सैंपल की पहचान कर सकीं और फिर घड़ी की तरह अपनी जीभ शुगर-पानी के घोल को इकट्ठा करने के लिए बाहर निकाला। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब सूकर कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए जानवरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले शोधकर्ता कुत्तों को इंसानी लार या वापस से को विभाजित -19 के निगेटिव और पॉजिटिव सैंपल के बीच अंतर करने के लिए शोध कर चुके हैं और जिसमें का का बड़ा लेवल सामने आया था।

छोटे पैमाने पर जर्मनी में किए गए अनुसंधान से पता चला है कि कुत्ते कोरोना पॉजिटिव सैंपल की पहचान कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोनावायरस के मेटाबोलिक परिवर्तनों के शख्स के तरल पदार्थ की गंध को थोड़ा अलग नाजायज शख्स के मुकाबले बनाता है। लेकिन शोधकर्ता अभी भी यकीन नहीं कर रहे हैं कि क्या दक्षिण कोरिया से बाहर को विभाजित -19 के मामलों का सूंघकर पता लगाने के लिए सबसे अच्छा हो सकता है।

वैज्ञानिकों ने गंध से पता लगाने के लिए किया है

पशु चिकित्सक न्यूरोलॉजिस्ट होलगर शेल्क नेचर को बताते हैं, “कोई नहीं कह रहा है कि ये आरटी-पीसीआर मशीन की जगह ले सकते हैं, लेकिन वे बहुत होनहार हो सकते हैं।” पीसीआर मशीन का इस्तेमाल एमबीए तक्शिशियन लार के टेस्ट की प्रक्रिया करने के लिए करते हैं। कम से कम उन स्थानों या देशों में जहां संसाधन का अभाव है या अत्यधिक क्षमता वाले रिलायंस उपकरण नहीं हैं, विशेष जानवरों का कोरोना की पहचान के लिए इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है। वैगनिंगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक मशीन के प्राथमिक अवस्था पर काम कर रहे हैं जो खुद से एक बार में कई मधुमक्खियों को प्रशिक्षण कर सकते हैं, फिर अपने कौशल का इस्तेमाल आसपास के वातावरण में कोरोनावायरस एयरोसोल की जांच में करते हैं।

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