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Coronavirus Mutations: कोविड-19 के लक्षण विभिन्न स्ट्रेन में कैसे अलग होते हैं? जानिए सब कुछ

Coronavirus Mutations: कोविड-19 के लक्षण विभिन्न स्ट्रेन में कैसे अलग होते हैं? जानिए सब कुछ

by Sneha Shukla

कोरोना महामारी की शुरुआत से बढ़नेवाले लक्षण की लिस्ट, जोखिम और विभिन्न म्यूटेशन का लोग मुकाबला कर रहे हैं। हाल के दिनों में नए म्यूटेशन से कोरोना मामलों की दर में आई वृद्धि तस्वीर को साफ करती है। न सिर्फ लक्षणों की शुद्धता भयावह है, बल्कि संक्रमण के संचरण में वृद्धि भी चिंताजनक है। कोरोनावायरस के विभिन्न वैरिएंट्स भारत सहित दुनिया भर में घूम रहे हैं। सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक कोरोना वेरिएंट्स के तीन वर्गीकरण की अपडेटिंग की जा रही है। B.1.1.7 वेरिएंट को ब्रिटिश वेरिएंट के तौर पर जाना जाता है और इंग्लैंग के दक्षिण-पूर्व में पाया गया था और वर्तमान में वेरिएंट ऑफ कन्सर्न के तौर पर धारणाएं गई है।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि ये वैरिएंट 40-70 फीसद अन्य वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा संक्रामक है और मौत का खतरा 60 बढ़ाता है। P.1 को वैज्ञानिकों ने जेन वेरिएंट का नाम दिया है और माना जाता है कि यह ज्यादा संक्रामक और खतरनाक पूर्व के म्यूटेशन की तुलना में होता है। दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट B.1.351 को कम से कम 20 देशों में पाया गया है। रोमन वेरिएंट की तरह E484K म्यूटेशन इस वेरिएंट को एंट बॉडीज को चकमा देने की अनुमति देता है। इसके साथ ही N501 म्यूटेशन उसे ज्यादा संक्रामक बनाता है।

भारतीय मूल का डबल म्यूटेंट वेरिएंट को पहली बार मार्च के अंत में महाराष्ट्र के अंत में भिन्नाना गया था। वैज्ञानिकों ने उसका नाम B.1.617 के तौर पर रखा है। दोनों में E484Q म्यूटेशन और L452R म्यूटेंट होता है, जो उसे ज्यादा संक्रामक बनाता है और सूरज से बच रहने में उसे सक्षम बनाता है। हाल ही में ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि कोरोना का ट्रिप म्यूटेशन वेरिएंट भी पश्चिम बंगाल, दिल्ली और महाराष्ट्र में उजागर हुआ है।

मूल तनाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, “जब कोई वायरस दोहरता है या अपनी नकल बनाता है, तो ये कभी-कभी थोड़ा बदल जाता है, जो किसी भी वायरस में सामान्य है। ये बदलाव ‘म्यूटेशन’ कहलाते हैं। वायरस एक म्यूटेशन या बहुत कुछ। नए म्यूटेशन के साथ मूल वायरस की ‘वेरिएंट’ के तौर पर जाना जाता है। “

कोविड -19 की बीमारी देनेवाला कोरोनावायरस का एक प्रकार है। पुरानी या मूल तनाव से होनेवाले म्यूटेशन को कोरोना म्यूटेशन या मूल वायरस के ‘वेरिएंट्स’ कहा जाता है। मूल रूप से तनाव के विपरीत, म्यूटेशन किसी को सहज करने की अपनी क्षमता में अलग हो सकता है और अलग जीनोम सिक्वेंसिंग रख सकता है।

भारत में ‘डबल म्यूटेशन’ का संकट
ये E484Q और L452R नामी दो म्यूटेशन का मिश्रण है, जो उसे ज्यादा संक्रामक बनाते हैं और एंटी बॉडीज को भगाने में उसे सक्षम बनाता है। भारत में को विभाजित -19 के मामलों की हालिया वृद्धि के पीछे इस दोहरे म्यूटेशन को जिम्मेदार माना जा रहा है, जो न सिर्फ सबसे कमजोर तबके को प्रभावित कर रहा है, बल्कि युवा, नौजवानों को जान कीमत चुकानी पड़ रही है। डबल म्यूटेशन से पैदा होनेवाली चुनौतियों के अलावा, चिप म्यूटेशन वेरिएंट पश्चिम बंगाल, महारष्ट्र और दिल्ली के हिस्से में पता लगाये गए है।

क्या नए वरिएंट्स बहुत गंभीर लक्षण की वजह बन सकते हैं?
कोविड -19 मामलों में हालिया वृद्धि और कमजोर वर्ग सहित युवाओं में जोखिम का प्रसार एक संकेत है कि नए वेरिएंट्स लोगों की सेहत के लिए खतरा हैं और मूल स्ट्रेशन के मुकाबले मौत का ज्यादा खतरा जुड़ता है। बीमारी के सबसे आम लक्षणों के अतिरिक्त बहुत सारे लोगों को गंभीर सांस की शिकायत जैसे सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द और सांस लेने में दुश्वारी से जूझना पड़ रहा है, जो ऑक्सीजन की कमी के सभी संकेत हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर की देशभर में मांग भारत में को विभाजित -19 के मरीजों की विनाशकारी स्थिति को बताती है।

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