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Explainer: मध्य वर्ग के लिए आफत बनकर आई कोरोना की दूसरी लहर, देश मे ऐसे बढ़ेगा अमीर-गरीब के बीच का फासला

Explainer: मध्य वर्ग के लिए आफत बनकर आई कोरोना की दूसरी लहर, देश मे ऐसे बढ़ेगा अमीर-गरीब के बीच का फासला

by Sneha Shukla

कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर ने लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। जहां एक ओर लोग इसके संक्रमण से पीड़ित हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इस घातक वायरस की चेन टूटने के लिए लगे लॉकडाउन और कर्फ्यू से आम आदमी के सामने दो वक्त की रोटी का भी संकट पैदा हो गया है। कोरोना की ये दूसरी लहर मिडिल क्लास परिवारों पर आफत बन कर आई है। इस लहर ने करोड़ों मिडिल क्लास परिवारों को गरीब परिवारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। विकराल रूप धारण कर कर इस महामारी के बीच लोगों का जीवन जीना मुहाल हो रहा है।

पहली लहर ने ही मचा दी थी तबाह
कोरोनावायरस की दूसरी लहर में देश के मिडिल क्लास परिवारों का सबसे बुरा हाल है। प्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक पहली लहर में तीन करोड़ 20 लाख मिडिल क्लास लोगों को गरीबी बना दी गई। अगर दुनिया की बात करें तो लगभग पांच करोड़ 40 लाख मिडिल क्लास लोग गरीबी की मुहाने पर खड़े हैं। इस कोरोना के बाद में चौतरफा संकट पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर तरह से बेहद बुरी खबरें आ रही हैं। इससे भरत की ग्रोथ हाइट सी गई है। देश में अब पहले से कहीं ज्यादा असमानता होने की आशंकाएं हैं।

पहले से ज्यादा खतरनाक दूसरी लहर है
सीएमआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो कोरोना की पहली लहर में ऑर्गनाइज्ड और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर सहित लगभग 12 करोड़ लोगों को अपनी जॉब से हाथ धोना पड़ा। इसमें लगभग दो करोड़ नौकरीपेशा और बाकी लेबर क्लास शामिल थे। अब दूसरी लहर में ज्यादा त्राही मची है। कोरोना की चेन ब्रेकिंग के लिए ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन लगाया जा रहा है। ऐसे में अब परिस्थिति के और बहुत ज्यादा बिगड़ने की संभावना है।

मिडिल क्लास पर सबसे ज्यादा बोझ
कोरोना की पहली लहर में अप्रैल से लेकर जून 2020 के दौरान देश की विकास दर 23.9% नीचे थी। अब इसका बोझ मिडिल क्लास पर पड़ रहा है। पिछले साल मार्च में GST कलेक्शन लगभग 97 हजार करोड़ था, जो मार्च 2021 में 26 प्रतिशत बढ़कर 1.23 लाख करोड़ हो गया, क्योंकि FMCG कंपनियों ने डेली यूज होने वाले सामान के रेट बढ़ा दिए थे। इसके अलावा देश में डीजल और गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। 31 मार्च 2020 को पेट्रोल की औसत कीमत 71.75 रुपये प्रति लीटर और डीजल की 64.34 रुपये प्रति लीटर थी, जबकि 31 मार्च 2021 को पेट्रोल 90.82 रुपये और डीजल 81.14 रुपये हो गई। मध्य प्रदेश और राजसथान में तो कीमत 100 के भी पार है। सरकार एक्साइज ड्यूटी कम करने का नाम नहीं ले रही है। बिजली के दामों से भी मिडिल क्लास को राहत नहीं है।

“अर्थ वाक्यशाला में सुधार की संभावना बेहद कम है”
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुरामन के अलावा कई जाने माने अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि अभी सार्थक रूढ़शास्त्र में सुधार की संभावना बेहद कम है क्योंकि भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने की दर 9 प्रतिशत से भी कम है। यानी एक दिन में 100 में से महज 9 लोगों का ही वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इस गति से भारत में भारी-इम्यूनिटी डेवेलप होने में काफी समय लग जाएगा। जब-जब कोरोना का प्रकोप बढ़ेगा तब-तब अर्थ वाक्यशोथ को नुकसान पहुंचता रहेगा। इसके इतर सरकार का दावा कर रही है कि कोरोना वैक्सीन लगने के साथ सार्थक वाक्यशाथा फिर से पटरी पर आ जाएगी।

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