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Hydrogen Bomb Kiske Siddhant Par Aadharit Hai

हाइड्रोजन बम किसके सिद्धांत पर आधारित है?

hydrogen bomb kiske siddhant par aadharit hai

by Sonal Shukla

दोस्तों, आज के समय मानव ने अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु बम जैसे खतरनाक शस्त्रों का निर्माण कर लिया है। एक परमाणु बम लाखों की आबादी को पलक झपकते ही भाप में बदल देता है। लेकिन परमाणु बम से भी तकरीबन 10 गुना शक्तिशाली एक हाइड्रोजन बम होता है। जो करोड़ों की आबादी को पलक झपकते ही भाप में बदल देता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतना खतरनाक Hydrogen Bomb Kiske Siddhant Par Aadharit Hai? यदि आप नहीं जानते और जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही स्थान पर आए हैं। क्योंकि आज हम आपको बताने वाले हैं कि Hydrogen Bomb Kiske Siddhant Par Aadharit Hai, हाइड्रोजन बम क्या होता है, इसके लिए कौन सी प्रतिक्रिया या प्रक्रिया निर्धारित की गई है। तो चलिए शुरू करते हैं –

हाइड्रोजन बम क्या है? | Hydrogen Bomb kya hai

Hydrogen Bomb Kiske Siddhant Par Aadharit Hai

दोस्तों, हाइड्रोजन बम एक ऐसा आणविक बम है जिसका उपयोग (युद्ध में) आज तक कभी भी नहीं किया गया। हाइड्रोजन बम के बारे में कहा जाता है कि यह बम परमाणु बम से भी 10 गुना ज्यादा शक्तिशाली वह खतरनाक है। इसे अत्यंत ही शक्तिशाली नाभिकीय बम की संज्ञा दी गई है।

यह एक थर्मोन्यूक्लियर वेपन है। इस हथियार को फ्यूज़न हथियार या हाइड्रोजन बम कहा जाता है। यह एक सेकेंड जनरेशन न्यूक्लियर वेपन है, और ऐसा कहा जाता है कि फर्स्ट जनरेशन एटॉमिक बॉम्ब की तुलना में यह अत्यंत ही विनाशकारी है।

इससे होने वाली तबाही परमाणु बम की तुलना में 10 गुना ज्यादा घातक और विनाशकारी है। इसका वजन परमाणु बम की तुलना में कम होता है, जिसके अपने कुछ फायदे होते हैं।

इसमें यूरेनियम का बहुत ही कम इस्तेमाल होता है, और इसके अंतर्गत Uranium-235 जैसे दुर्लभ विखंडक तत्त्व है साथ हुई प्लुटोनिअम का अधिक उपयोग किया जाता है। इसी के साथ में यूटोनियम 240 का इस्तेमाल भी किया जाता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा 1952 में पहली बार हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया गया था यह एक आधुनिक संलयन हथियार है, जो परमाणु विखंडन के सिद्धांत पर काम करता है।

इसमें थर्मोन्यूक्लियर वेपन एक परमाणु संलयन की नाभिकीय हाइड्रोजन आइसोटोप ड्यूरियन और आधुनिक हथियारों के अंतर्गत लिथियम ड्यूरेटाइट का इस्तेमाल किया जाता है।

जब एक परमाणु बम का धमाका होता है तब इसके अंतर्गत तापमान 10 मिलियन केल्विन हो जाता है। लेकिन इसी प्रकार जब हाइड्रोजन बम का धमाका होता है तब तापमान 100 मिलीयन केल्विन हो जाता है और थर्मल एक्सीडेंट तीव्रता के साथ चमकने लगता है।

हाइड्रोजन बम का निर्माण कब किया गया | hydrogen bomb ka nirman kab kiya gya

1 March 1954 को अमेरिका ने पहली बार हाइड्रोजन बम का परिक्षण किया था।

हाइड्रोजन बम किसके सिद्धांत पर आधारित है? (Hydrogen Bomb Kiske Siddhant Par Aadharit Hai)

दोस्तों हाइड्रोजन बम अनियंत्रित संलयन अभिक्रिया के आधार पर काम करता है। जैसा कि हमने आपको पर बताया है कि हाइड्रोजन बम की संहारण (विनाशक) क्षमता किसी भी परमाणु बम से कई गुना अधिक होती है, इसीलिए इसके निर्माण में नाभिकीय संलयन का सिद्धांत काम करता है। इसके अंतर्गत इस्तेमाल किया जाने वाला सिद्धांत आइंस्टाइन के E=Mc2 के आधार पर काम करता है।

यही कारण है कि यह धमाका करने पर अपार ऊर्जा मुक्त करता है। और यह ऊर्जा मुक्त होने के पश्चात लगातार नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया को जारी रखने में मदद करता है। हाइड्रोजन बम के अंतर्गत जो विखंडन परमाणु इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें तकरीबन 20 करोड डिग्री सेल्सियस तक गर्म करना होता है।

जिसके पश्चात ऊर्जा का विखंडन अनियंत्रित रूप से शुरू होती है, और जब शुरुआती तौर पर परमाणु बम कहीं पर विस्फोट होता है तब यह अभिक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक तापमान बम के विस्फोट से ही प्राप्त हो जाता है। एक साधारण हाइड्रोजन बम के विस्फोट पर 26.7 मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट की उर्जा उत्पन्न होती है जिसे कभी भी इंटरेस्ट नहीं किया जा सकता।

अनियंत्रित नाभिकीय संलयन अभिक्रिया क्या है?

अनियंत्रित नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया के अंतर्गत जब 2 साल के नाभिक परस्पर एक साथ जुड़कर एक भारी नाभिक तत्व की रचना करते हैं, तब इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं।

नाभिकों का आपस में जुड़ना लेकिन यहां पर एक अभिक्रिया यह देखी जाती है कि जब किसी भौतिक प्रक्रिया में दो नाभिक जुड़ते हैं और उनके रचना से एक नये नाभिक का निर्माण होता है, तब सामान्य तौर पर जिस नाभिक की रचना होती है, वह वजन में दोनों नाभिकों के कुल वजन जितना बराबर होता है।

दोनों के वजन उसे एक नाभिक में समा जाते हैं। लेकिन जब हाइड्रोजन के नाभिक परस्पर जोड़ कर एक नई नाभिक की रचना करते हैं, तब उन दोनों नाभिकों का कुल द्रव्यमान नए रचित नाभिक के द्रव्यमान से अधिक होता है। अर्थात वह नया नाभिक जिसका निर्माण अभी हुआ है। उसका वजन सामान्य तौर पर हल्का होता है।

ऐसा कहा जाता है कि वर्तमान में यह कमी ऊर्जा के रूप में स्थानांतरित हो जाती है। और इसीलिए इसे आइंस्टाइन के समीकरण अर्थात ऊर्जा के रूपांतरण का समीकरण E=Mc2 से ज्ञात किया जाता है। आमतौर पर तारों में यह अभिक्रिया निरंतर रूप से जारी रहती है। एक भी परमाणु का निर्माण करने के लिए चार हाइड्रोजन परमाणु का आयोजन किया जाता है।

अनियंत्रित नाभिकीय संलयन अभिक्रिया की खोज किसने की?

अनियंत्रित नाभिकीय संलयन अभिक्रिया को फ्यूज़न अभिक्रिया कहा जाता है, और इसकी खोज इटली के एक भौतिक विज्ञानी एनरिको फर्मी ने किया था, और इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था।

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अंतिम विचार

दोस्तों आज के लेख में हमने आपको बताया कि हाइड्रोजन बम क्या है, और हाइड्रोजन बम किस प्रकार काम करता है। इसके अलावा हमने आपको यह भी बताया कि Hydrogen Bomb Kiske Siddhant Par Aadharit Hai

हम आशा करते हैं कि आज का लेख पढ़ने के पश्चात आप यह सही ढंग से समझ पाए होंगे, कि हाइड्रोजन बम किस सिद्धांत पर काम करता है। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

FAQ

हाइड्रोजन बम का मूल सिद्धांत क्या है?

हाइड्रोजन बम परमाणु संलयन के सिद्धांत पर आधारित है।

क्या हाइड्रोजन बमों में विकिरण होता है?

एक विखंडन बम, जिसे प्राथमिक कहा जाता है, बड़ी संख्या में न्यूट्रॉन सहित विकिरण की बाढ़ पैदा करता है। यह विकिरण बम के थर्मोन्यूक्लियर भाग पर पड़ता है, जिसे द्वितीयक के रूप में जाना जाता है। माध्यमिक में बड़े पैमाने पर लिथियम ड्यूटेराइड होते हैं।

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